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" बुढापा " एक अवस्था है अभिशाप नहीं

सर्व प्रथम आप सब को मेरा नमन 🙏 । आज आप सबसे कुछ कहने और पूछने, मैं अपनी कलम की साथ आई हूँ।
शायद कुछ लोगों की सोच मुझसे मिले या फिर कुछ अपनी सोच को अलग तरह से बताएं, ऐसे में दोनों का मत गृहणीय होगा।

🙏 ' बुढापा ' एक अवस्था है , ये कोई अभिशाप नहीं 🙏

ये एक ऐसा सोच धीरे धीरे हर बुज़ुर्ग अपने मन से पूछने लगा है, पर जवाब... सिर्फ़ ख़ामोशी.... ख़ामोशी... और बस ख़ामोशी।
जवाब किसके पास है? है भी या नहीं ये भी देखनी है।
हर इंसान अपनी पूरे जीवन काल में इसी अवस्था में ज़रूर कदम रखेगा। उस वक़्त उसके पास कमाने के लिए कुछ नहीं बचा होगा, ना उम्र होगी नौकरी की.. ना शरीर में उतने ताक़त होंगे की कोई ज़िम्मेदारी अपने कंधो ले ले।

इन दिनों आस पड़ोस से देख कर, या दोस्तों रिश्तेदारों के यहाँ देख कर, धीरे धीरे ये अनुभव होने लगा है की इसी वृद्धावस्था में जितने भी लोग हैं , उन सबकी पहली ज़रूरत और शायद आखरी ख्वाइश यही है की उन्हें उनके अपनों से कुछ वक़्त चाहिए, जिस वक़्त मे वो उनके साथ हंसी खुशी या दुख दर्द बाँट सके, ज़िंदगी अभी भी खूबसूरत है, इस बात पर यकीं कर सके। थाली रख आना, खाना खिलाना नहीं होता मेरे दोस्त, उस समय उनके पास बैठने से उनका वाकई मे पेट भरता है। " बाहर जा रहे हैं... आते वक़्त late हो जायेगा, खाना खा लीजियेगा..."ये भाव थोड़ा ठेस पहुंचाता है। यही बात उनके पास बैठ कर बोलिये, जैसे बच्चों से कहा जाता है। वाक्य वही होता है, परंतु कर्तव्य निपटाने की भाव नहीं होती तब, प्यार, फिक्र, परवाह से कही जाती है।

बस ये एक बात हम सब याद रखेंगे, और हम सबको इसी अवस्था को सोच से ही सुधारना होगा।
" बुढापा एक अवस्था है , अभिशाप नहीं "
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

जयश्री✍️