...

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"भरोसा"
खेतों से आ रही राधा को उसकी पड़ोसन रास्ते में मिलते ही शिकायत के लहजे में बोली, 'तुझे क्या मतलब है अब खेतो से ,
बहू को काम संभाला दे और आराम कर।

यह सुनकर राधा थोड़ा सा मुस्कुराई ही थी कि दूसरा तीर चलाते
हुए पड़ोसन बोल पड़ी कि, ' बहू को नौकरी कराने की क्या जरूरत है वो घर संभाले '।

अब शायद जवाब देना जरूरी हो गया था तो राधा ने पूछा , ' तेरी बहू तो नौकरी नहीं करती ,फिर भी खेतो को संभालने तू ही तो जा रही है । जहा तक मेरी बात है, खेतो को संभालने में खुद ही आई थी ।

बहू और बेटे ने तो मना कर रखा है खेत बटाई पर दे दिए हैं और रही बात बहू की नौकरी की तो उसने नौकरी के सपने के लिए कितनी मेहनत की है ।

उसकी इच्छाओं को सिर्फ इसलिए दबा दूं कि वो मेरी बहु है ?
' अच्छा ठीक है ठीक है कहते हुए पड़ोसन थोड़ा सा झेप गई ।
फिर तीसरा तीर छोड़ा की तेरी बहू तो घूंघट भी नहीं निकलती।

राधा हंसते हुए बोली कि " घूंघट कोई सम्मान का सवाल नहीं है।
हमे हमारे समय घूंघट से कितनी परेशानी होती थी क्या याद नहीं है तूझे ?

पड़ोसन झीजते हुए बोली कि पर पुरखो ने ये जो नियम बनाए है ये ऐसे ही थोड़ी ही बनाए है ?

"राधा घर को तरफ चलते हुए बोली कि " मैं तो बस इतना जानती हु कि एक दूसरे को मजबूत बनाने के लिए हम महिलाओं को आपस में सहयोग करने की जरूरत है । मै अपनी बहू के लिए वही कर रही हूं।"

**बहू पर भरोसा जताते वाली स्त्री सासू नहीं, केवल मां हो सकती हैं**

आप सभी को मेरी ये लघुकथा कैसी लगी ..जो भी सुझाव हो मुझे जरूर बताएं और आशा करती हूं आप सभी को मेरी ये लघुकथा जरूर पसंद आएगी ....🙏🙏😊😊😊

#लघुकथा✍️❤️
#Respect_the_ladies💐❤️🌹
© preet_90aii