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purana sapna(sheen the tale of warrior) part-1
दिल्ली

रात 9 बजे,

दरवाज़ा खुलने की आवाज एक थकी हारी लड़की हल्के स्वर में कहती है—




"अम्मी मैं आ गई आज आप मेरे लिए खाना मत लगाना मैं बाहर से खाकर आई हु, और अब सोने जा रही हु गुड नाईट अम्मी"




ओशीन एक 25 साल की सुंदर ,जवान, लंबे सुनहरे बाल और भूरी आंखो वाली लडकी जो अपने परिवार अपनी एक बहन से बहुत प्यार करती थी




ओशीन जब सोने चले जाती है तो उसकी अम्मी परेशान होते हुए अपने आप से ही कहती है—




"क्या हुआ है ओशीन को ,वो इतने दिनो से बहुत अजीब बरताव कर रही है"




तभी उसके अब्बा आते है और ओशीन की अम्मी से बोलते है—




"ओशीन और आयशा की अम्मी खाना तो लगा दो कौन से सपनो में गुम हो"




ओशीन की अम्मी परेशानी भरे स्वर में कहती है—




"ओशीन की वजह से थोड़ी परेशान हु आज कल थोड़ा अजीब बरताव कर रही है कुछ खाना भी नही खा रही अच्छे से"




ओशीन के अब्बा उसकी बात सुनकर हल्का सा मुस्कुराते हुए कहते है—




"ओशीन की अम्मी अब वो बड़ी हो गई है थोड़ा काम भी होता होगा उसको काम की वजह से परेशान रहती होगी पर हमको पता है की ओशीन बहुत समझदार है उसकी फिकर ना कीजिए और आप भी खाना खा लीजिए, सुबह उठकर उससे बात करेंगे"




ओशीन की अम्मी उसके अब्बा की बात सुनकर ठीक है में जवाब देकर खाना लगाने लग जाती है,




वही दूसरी ओर ओशीन अपने कमरे में जाती है और अपना बैग एक कोने में जोर से पटक कर बेड पर बैठ जाती है और अपने सिर पर हाथ रखकर अपने आप से कहती है—




"क्या हो रहा है आज कल न नींद अच्छे से आती है और न ही काम में आज कल मन लग रहा है और वो सपना!"




यह कहकर वो थोड़ा शांत होती है और फिर बेड पर लेट जाती है और देखते ही देखते ओशीन की आंख लग जाती है,




भागते हुए,

दो लड़कियां भागते हुए एक बच्ची को अपने साथ ले जा रही थी तभी उनमें से एक लड़की डरते हुए कहती है—




"शीन मुझे बहुत डर लग रहा है कही हमको कुछ हो न जाए ऊपर से यह छोटी सी जान हमारे साथ है बहुत डरी भी है क्या करे शीन हम"




पहली लड़की जिसका नाम शीन होता है वो अपने साथ वाली से कहती है—




"ईशा तुम डरो मत कुछ नही होगा हमको यह बच्ची भी बचेगी और हम सब भी तुम चिंता मत करो"




ईशा , हा! में जवान देती है तभी शीन ईशा से कहती है—



"तुम मेरे साथ चलो"




तभी ईशा उस बच्ची का हाथ कस कर पकड़ कर शीन के साथ एक कोने पर सिसक कर बैठ जाती है तभी शीन ईशा से कहती है—




"बिल्कुल भी आवाज मत करना दोनो क्यू की वो हमारी हल चल को महसूस कर सकते है"




तभी अचानक पैरो की आवाज आने लगती है धीरे धीरे वो आवाजे बढ़ने लग जाती है और तेज हो जाती है तभी शीन धिरे से कहती है—




"शांत हो जाओ"




यह कहते ही एक तेज रोशनी आती है और फिर शीन अपनी आंखें बंद कर लेती और एक दम से ही अंधेरा हो जाता है तभी शीन अपनी आंखें खोलती है और देखती है की उसके साथ कोई नही है और अकेली है वो तभी उसे एक आवाज सुनाई देती हैं —




"श! श! शीन"




यह आवाज ऐसी होती है की पहले धीरे धीरे और उसके बाद तेज होने लगती है तभी शीन कहती है—




"यह आवाज तो ईशा की है पर वो है कहा? ईशा! ईशा क्या यह तुम हो"




तभी शीन उस जगह से उठकर उस आवाज की तरफ बड़ने लगती है धीरे धीरे वो अपने कदम आगे ले रही होती है और तभी उसको एक दरवाजे की तरफ से ईशा की आवाज आती है जैसी वो आगे बढ़ कर उस दरवाजे को खोलती है और आगे बढ़ती है उसका जोर से पैर फिसल जाता है और वो नीचे की ओर गिर जाती है 




वर्तमान में ओशीन जोर से चिल्लाती हुई उठती है उसका चहरा डर से सहमा हुआ होता है पसीने से लत पत होता है तभी उसकी अम्मी जल्दी से अंदर आती है और ओशीन से कहती है —




"क्या हुआ ओशीन तुम इतनी डरी सहमी क्यू हो"




ओशीन अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहती है—




"अम्मी वही लड़की वही लोग वही सब सपना क्या है वो?"




उसकी अम्मी उसको दिलासा देते हुए कहती है—




"ओशीन यह एक सपना ही है हकीकत नही तुम हकीकत में जियो और फिकर मत करो और उस सपने को सपना समझ कर भूल जाओ खुदा रहम करे तुम उठ कर तैयार हो जाओ में तुम्हारे लिए नाश्ता लगा देती हु"




यह कहकर उसकी अम्मी चले जाती है और वही ओशीन अपना सिर झटक कर कहती है —




"आज कल किताबो में गुम कर शायद मुझे जायदा ही यह सपने आ रहे है आयशा ठीक कह रही थी मुझे अपना समय किताबो के बाहर भी देना चाहिए"




यह कहकर वो उठती है और फ्रेश होने चले जाती है कुछ ही समय में वो बाहर आती है कपड़े पहन कर अपना बैग ले कर तैयार होकर बाहर नाश्ते के लिए चले जाती है तभी पीछे से उसके अब्बा भी आ जाते है और ओशीन से कहते है—




"ओशीन सब खैरियत तो है तुम्हारी अम्मी को तुम्हारी बहुत चिंता हो रही थी और वो कह रही थी कि तुम आज कल बहुत परेशान रहती हो, तुम्हे काम के साथ साथ अपनी सेहत पर भी ध्यान देना चाहिए"




यह सुनकर ओशिन कहती है—




"हा अब्बा आगे से ध्यान रखूंगी"




तभी ओशीन की अम्मी खाना लेकर आती है और कहती है —




"चलो चलो बाते बहुत हो गई और अब खाने पर ध्यान दीजिए"




तभी सब खाना खाने लगते है अचानक ही फोन बजने लगता है तभी ओशीन की अम्मी फोन उठाती है और जैसे ही सुनती है तो फोन के अंदर से आवाज आती है —




"अम्मी"




यह आवाज सुनते ही अम्मी बोलती है—




"आयशा तुम!"




"हा? क्या कहा तुमने!" ओशीन की अम्मी चोक कर बोलती है,




क्या सुना ओशीन की अम्मी ने जिसे सुनकर वो चोक गई कौन थी आयशा ?और क्या राज है उस सपने का जानने के लिए पढ़ते रहिए "शीन द टेल ऑफ अ वॉरियर

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