###आखिर मानव कहां तक ......*******
मन में सवाल उठता है कि आखिर मानव किस हद तक अपने आप को विकसित करेगा क्या इसकी कोई सीमा है ?
विकास का graph straight line नहीं है और ना ही इसमें उतार - चढ़ाव होता है , हां ये लगातार समय के साथ आगे जरूर बढ़ता जाता है तो इसे हम सीधी रेखा या टेढ़ा मेढ़ा नहीं कह सकते ।
विकास का ग्राफ दीर्घ वृत्ताकार होता है
ये जहां से शुरू होता है गोल गोल घूम कर उसी बिंदु पर पहुंच जाता है , और फिर नए सिरे से शुरू होता है इसी तरह इसमें शून्य से शुरू होकर शून्य को प्राप्त करने की वृत्ति होती है ।
सच तो ये है कि प्रकृति ने हमें straight line जैसी कोई चीज ही नहीं दी ,
ये तो मानव की उपज है
क्योंकि सूर्य गोल है चंद्रमा गोल हैं , ग्रह गोल हैं
और ये घूम भी गोल गोल रहे हैं
इससे ये सिद्ध होता है कि प्रकृति ने हमें ग्राफ भी दीर्घ वृत्ताकार ही दिया है
इसलिए मानव कितना भी अपने आप को विकसित कर ले , एक दिन शून्य पर ही आजाना है
अगर इसका ग्राफ straight line होता तो ये जन्म मरण का कॉन्सेप्ट ही नहीं होता हम सीधे ही आगे बड़ते रहते बिना मिटे .............
© @herry
विकास का graph straight line नहीं है और ना ही इसमें उतार - चढ़ाव होता है , हां ये लगातार समय के साथ आगे जरूर बढ़ता जाता है तो इसे हम सीधी रेखा या टेढ़ा मेढ़ा नहीं कह सकते ।
विकास का ग्राफ दीर्घ वृत्ताकार होता है
ये जहां से शुरू होता है गोल गोल घूम कर उसी बिंदु पर पहुंच जाता है , और फिर नए सिरे से शुरू होता है इसी तरह इसमें शून्य से शुरू होकर शून्य को प्राप्त करने की वृत्ति होती है ।
सच तो ये है कि प्रकृति ने हमें straight line जैसी कोई चीज ही नहीं दी ,
ये तो मानव की उपज है
क्योंकि सूर्य गोल है चंद्रमा गोल हैं , ग्रह गोल हैं
और ये घूम भी गोल गोल रहे हैं
इससे ये सिद्ध होता है कि प्रकृति ने हमें ग्राफ भी दीर्घ वृत्ताकार ही दिया है
इसलिए मानव कितना भी अपने आप को विकसित कर ले , एक दिन शून्य पर ही आजाना है
अगर इसका ग्राफ straight line होता तो ये जन्म मरण का कॉन्सेप्ट ही नहीं होता हम सीधे ही आगे बड़ते रहते बिना मिटे .............
© @herry