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श्रृजन:मानव रचना...
कुछ ज्ञानी व्यक्तियों ने एक "रोबोट" का निर्माण किया जो मनुष्य के सदृश था, अनेक समानताओं के समन्वय से निर्मित इस "रोबोट" में कुछ अलग विशिष्टताएँ भी थी...
इसमें ऐसे कई उच्च तकनीक का इस्तेमाल किया गया था जीसके माध्यम से इसके निर्माता इससे कहीं भी कभी भी जुड़ सकते थे, यह कहीं खो न जाए इसलिए इसमें ट्रेकिंग डीवाइस भी लगा था...
अनेकों सफल प्रयोगों के बाद इस रोबोट को कुछ कार्य सौंपा गया,इन कार्यों को सकुशल पुर्ण करने पे इनके निर्माताओं ने एक दिन निश्चय किया कि वे एक निश्चित क्रम में इस रोबोट से जुड़ेंगे...
एक दिन A नामक इसके निर्माता इस रोबोट से जुड़े हालांकि "रोबोट" को इस बात का ज्ञान नहीं था कि कौन कब उससे जुड़ता है शायद उसे इसके लिए ट्रेंड नहीं किया गया था या फिर उसके निर्माण के वक्त उसके निर्माताओं ने इसका बात का ध्यान रक्खा हो की "रोबोट" को इस बात का ज्ञान न हो...
जो भी हो इन सभी बातों से अनभिज्ञ वो रोबोट दिए गए टास्क को यथासंभव पुरा करते जा रहा था...
इसी तरह विभिन्न क्रम में उसके निर्माता उससे जुड़ते गए और वो कार्यों को कभी त्रुटि सहीत तो कभी कुछ त्रुटि रहित पुरा करते जा रहा था।
उसके निर्माताओं ने एक दिन यह नोट किया की "रोबोट" का परफॉरमेंस उससे जुड़े निर्माता के सदृश प्रभावित होता है...
कई वर्षों तक ऐसा हीं चलता रहा... अचानक एक दिन उस "रोबोट" को अपने निर्माता को जानने की इच्छा हुई, यहां ध्यान देने वाली बात है कि यह विचार रोबोट के निर्माण के अनुरूप नहीं था जब इस बात की भनक रोबोट के निर्माताओं को लगी तो वे हैरान रह गए,उन्होंने रोबोट पे और उसके क्रिया-कलापों विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया।
इधर "रोबोट" कुछ ऐसे कार्यों को पुरा करने लगा जो उसके रोबोट निर्माताओं को हैरान करने वाला था, जैसे रोबोट अपने अंदर के प्रोग्राम को खुद से कुछ-कुछ बदलने लगा था एंव वो कुछ नए चीजों का निर्माण करना आरंभ कर दिया था...उसे एसा लगने लगा था की कुछ अलग है उसके अंदर...
उसके निर्माताओं ने रोबोट के इस ज्ञान को "आर्टिफिशियल ईंटेलीजेन्श" का नाम दिया...
एक्सपेरिमेंट जारी रहेगा...
© ucamit
इसमें ऐसे कई उच्च तकनीक का इस्तेमाल किया गया था जीसके माध्यम से इसके निर्माता इससे कहीं भी कभी भी जुड़ सकते थे, यह कहीं खो न जाए इसलिए इसमें ट्रेकिंग डीवाइस भी लगा था...
अनेकों सफल प्रयोगों के बाद इस रोबोट को कुछ कार्य सौंपा गया,इन कार्यों को सकुशल पुर्ण करने पे इनके निर्माताओं ने एक दिन निश्चय किया कि वे एक निश्चित क्रम में इस रोबोट से जुड़ेंगे...
एक दिन A नामक इसके निर्माता इस रोबोट से जुड़े हालांकि "रोबोट" को इस बात का ज्ञान नहीं था कि कौन कब उससे जुड़ता है शायद उसे इसके लिए ट्रेंड नहीं किया गया था या फिर उसके निर्माण के वक्त उसके निर्माताओं ने इसका बात का ध्यान रक्खा हो की "रोबोट" को इस बात का ज्ञान न हो...
जो भी हो इन सभी बातों से अनभिज्ञ वो रोबोट दिए गए टास्क को यथासंभव पुरा करते जा रहा था...
इसी तरह विभिन्न क्रम में उसके निर्माता उससे जुड़ते गए और वो कार्यों को कभी त्रुटि सहीत तो कभी कुछ त्रुटि रहित पुरा करते जा रहा था।
उसके निर्माताओं ने एक दिन यह नोट किया की "रोबोट" का परफॉरमेंस उससे जुड़े निर्माता के सदृश प्रभावित होता है...
कई वर्षों तक ऐसा हीं चलता रहा... अचानक एक दिन उस "रोबोट" को अपने निर्माता को जानने की इच्छा हुई, यहां ध्यान देने वाली बात है कि यह विचार रोबोट के निर्माण के अनुरूप नहीं था जब इस बात की भनक रोबोट के निर्माताओं को लगी तो वे हैरान रह गए,उन्होंने रोबोट पे और उसके क्रिया-कलापों विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया।
इधर "रोबोट" कुछ ऐसे कार्यों को पुरा करने लगा जो उसके रोबोट निर्माताओं को हैरान करने वाला था, जैसे रोबोट अपने अंदर के प्रोग्राम को खुद से कुछ-कुछ बदलने लगा था एंव वो कुछ नए चीजों का निर्माण करना आरंभ कर दिया था...उसे एसा लगने लगा था की कुछ अलग है उसके अंदर...
उसके निर्माताओं ने रोबोट के इस ज्ञान को "आर्टिफिशियल ईंटेलीजेन्श" का नाम दिया...
एक्सपेरिमेंट जारी रहेगा...
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