...

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मन की अवस्था
इस भरी दुनिया में देखा
कैसा है तकदीर का लेखा
तन पर ही सबका जोर है
मन की हालत कोई ना जाने
बावरा मन, चले किस और है

तन संवारने के जत्न में त्रस्त
ये दुनिया है बस इसी में मस्त
मन की सुध बुध किसको अब
मन बहलाकर ही खुश हैं सब

हाल-चाल पूछना कोई नहीं भूलता
मन की अवस्था नहीं कोई पूछता
मन बहक जाए तो रास्ते पे कौन लाए
भटका हुआ मन फसाद की जड़ हैं

मौज, मस्ती, मनोरंजन भरपूर है
फैले प्रपंच,मन आडम्बर में चूर है
मन किसी काम में टिकता नहीं है
मन किसी की बात सुनता नहीं है।

ऊल जलूल बातों को सच मानकर
हमने मन को दर किनार कर दिया
बेफिजूल की हरकतों में उलझकर
मन की बेतुकी को सच मान लिया

ये माना कि मन चंचल जरूर है
पर इसमें किसी का क्या कसूर है
ये मन तेरी बात उस दिन मान लेगा
मन जीतने का हुनर जब तू जान लेगा

मन मार कर किए कर्म रंग नहीं लाते
मन हारने से बड़े बड़े जंग हैं हार जाते
मन जीत लिया जिस दिन अपना तूने
उस दिन तू यकीनन ये जग जीत लेगा

© PJ Singh