...

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unknown love #1
भीड़ में थोड़ी तन्हा थी
की तभी वो दिखा
अजनबी तो था पर अपना सा लगा
शायद थोड़े जल्दी में था
थोड़ी तीव्रता हुई पर पलटकर नहीं देखी
अब मुसाफिर हूं
यूं पीछे मुड़कर देखने की आदत नहीं।
पर आंखो में ख्वाब
उससे फिर मिलने का ज़रूर था।
उस दिन थोड़े देर से लौटी
और बारिश हो रही थी।
अब बारिश से तो
मेरा पुराना रिश्ता है
इन बूंदों में भीगना मुझे बहुत पसंद है।
थोड़े देर में एक आदमी दिखा
बाहे फैलाए उसी बारिश में भीगता हुआ,
कद कुछ 5'7
गहरी आंखे, होठों पर मुस्कान
और चेहरे पर सुकून।
लग तो वही रहा था
पर अब बारिश और तेज़ हुई
तो अब खाली रास्ते में
भागने के सिवा कोई और विकल्प नहीं था।
पर हां नज़र को थोड़ी ठंडक मिली
की मेरी तरह बारिश के पीछे पागल
यहां कोई और भी था।
रोज़ की ज़िन्दगी में रफ़्तार तो तेज़ था।
उस दिन घर से निकलने में देर हुई
तो कैब लेना पड़ा
कैब में दो बुकिंग थी
फिर वही इत्तेफ़ाक़ ने हमें मिला दिया।
शक्ल पहचाना था पर इंसान तो नहीं
तो ख़ामोश ही थी
कि उसने खामोशी तोड़ते हुए
बात की बातों बातों में
आखिर मेरी मंज़िल भी आ गई
और सफर फिलहाल के लिए रुका।






© Anushka_28