तारक मेहता का अनोखा चश्मा
(शॉर्ट कहानी)
विशाल सुबह से उदास था उसकी इच्छा थी स्कूल की तरफ से पिकनिक जाना पर पैसे नहीं मिल रहे थे घर से
विशाल ने ये बात अपने दोस्तों मयूर, कुंदन, सोहन, मानसी को कहीं
उन्होंने कहा हम सब मिलते है थोड़ी देर मे
15 मिनट मे सब दोस्त आ गए
सबने कहा विशाल तू चिंता मत कर हम है हम देंगे तेरे पैसे
ये सुनकर विशाल बहुत भावुक हो गया और कहानी सुनानी शुरू की
साल भर पहले तक सब सही था पर जब पापा को बिजनेस मे घाटा हुआ वो सब पर गुस्सा करने लगे और मुझे बस घर मे रहने को कहते
पापा कभी कभी पैसे मांगते मम्मी मना कर देती इस बात पर दोनों मे झगड़ा होता
इसका भी निदान ढूंढने दोस्त टेंशन मत लो
ये कहकर सब विशाल के गले लग गए
विशाल को माहौल थोड़ा बदलने के लिए पिकनिक पर जाना था
विशाल के पैसे सबने दे दिए
विशाल ने कहा कल मैं अपने दोस्त के घर पढ़ाई करूंगा इससे पहले की उसे कुछ कहते विशाल सभी के साथ उनके घर आ गया
मानसी ने दादाजी को पूरी बात बताई और पूछा विशाल के मम्मी पापा को टेंशन से कैसे निकाल सकते
दादाजी कुछ देर सोचने लगे
फिर बोले मेरे पास कुछ पैसे है जो ये सोचकर रखे थे क्या पता कब जरूरत पड़ जाए इससे विशाल के पति को बिजनेस फिर से शुरू करने मे मदद मिलेगी और हम उन्हें समझायेंगे
दादाजी ने सभी को कहा कपड़े बदलकर खाना खाकर जल्दी मिलों विशाल के घर आज ही जाना होगा
30 मिनट मे सब बच्चे दादाजी के पास आ गए
दादाजी बच्चों के साथ चल दिये विशाल के घर
वहां जाकर देखा विशाल के पिता जमीन पर लेटे हुए थे
उन्हें सबने मिलकर सोफ़े पर बिठाया
दादाजी ने कहा
आप इतने टेंशन क्यों लेते हैं बच्चों ने पूरी बात बता दी है आपको घाटा हुआ दुःख की बात है पर आपने अपनों को अनदेखा करा उनसे परायों जैसा व्यवहार करा मैं आपकी मदद करूंगा
पर मैं आपसे कैसे लूं सकता हूं पैसे
जब बिजनेस मे सफ़ल हो जाओ तब चुकता कर देना
ये सुनकर विशाल के पापा भावुक हो गए कहने लगे आज के समय कौन इतना सोचता है?
दादाजी विशाल के पापा के गले लग गए
उन्हें 200,000 रुपये दिए कहा की ये आपके काम आयेंगे पर इसको आप बिजनेस मे और फॅमिली मे लगाना पीने मे फिजूल करना
मैं आपको क्या कहकर संबोधित करूं ?
बच्चे मुझे दादाजी कहते बड़े ताऊजी कहते
ठीक है मैं भी ताऊजी कहूँगा
मैं अभी से पीने की आदत का त्याग करता हूं
दादाजी ने कहा ये तो बहुत ही अच्छी बात बात है क्या अब आप विशाल को पिकनिक पर भेजने के पक्ष मे है बस आप हाँ कर दीजिए उसके पैसे सबने मिलकर दे दिए
ये सुनते ही विशाल के पापा ने सभी धन्यवाद कहा
अंकल इसमे थैंक्स किस बात का विशाल हमारा दोस्त है दोस्त की मदद के लिए सोचा नहीं जाता
थोड़ी देर मे विशाल की मम्मी आ गयी उन्होंने विशाल के पापा को नींबु माँ अचार दिया
इससे जो थोड़ा भी असर था वो भी हट गया
विशाल की मम्मी ने आज खुशी का एहसास करा वो भी काफी साल बाद
विशाल के पापा ने विशाल को कहा
विशाल तुम पिकनिक पर जा सकते हो
ये सुनकर विशाल अपने पापा के गले लग गया
अगले दिन बस ने सभी बच्चों को उनके घरों से रिसीव करा और चल पड़ी बस
टीचरो को उनके घर से रिसीव किया गया
प्राकृतिक नजारे देख सके ऐसी जगह चलने को कहा ड्राइवर को
विशाल भी मंद मंद मुस्कुराने लगता
सभी ने पिकनिक पर बहुत एंजॉय करा
सभी बस मे वापस बैठ गए बस बस सभी को अपने घर पहुंचाने लगी
विशाल ले लिए आज का दिन बहुत खास था
घर मे टेंशन के कारण नंबर भी कम आने लगे थे क्योंकि पढ़ाई मे मन नहीं लगता था
अब जब टेंशन हटा विशाल का मन अब पढ़ाई मे लगने लगा
फिर जब अर्धवार्षिक परीक्षा हुई विशाल के क्लास मे सबसे ज्यादा नंबर आए थे
रिजल्ट देखते ही विशाल भावुक हो गया
विशाल के दोस्तों ने उसे पूछा अब जब सही हो गया तो अब क्यों दुःखी ?
ये तो खुशी के आंसू है
सभी ने विशाल को गले लगाया
अब विशाल बहुत खुश था पहले उसे घर मे कोई कुछ नहीं समझते थे अब उसे सुनना चाहते
ये सब हुआ उसके दोस्तों और दादाजी के कारण ।
समाप्त
22/4/2024
3:40 प्रातः
Pic credit - Pinterest
© ©मैं और मेरे अहसास
विशाल सुबह से उदास था उसकी इच्छा थी स्कूल की तरफ से पिकनिक जाना पर पैसे नहीं मिल रहे थे घर से
विशाल ने ये बात अपने दोस्तों मयूर, कुंदन, सोहन, मानसी को कहीं
उन्होंने कहा हम सब मिलते है थोड़ी देर मे
15 मिनट मे सब दोस्त आ गए
सबने कहा विशाल तू चिंता मत कर हम है हम देंगे तेरे पैसे
ये सुनकर विशाल बहुत भावुक हो गया और कहानी सुनानी शुरू की
साल भर पहले तक सब सही था पर जब पापा को बिजनेस मे घाटा हुआ वो सब पर गुस्सा करने लगे और मुझे बस घर मे रहने को कहते
पापा कभी कभी पैसे मांगते मम्मी मना कर देती इस बात पर दोनों मे झगड़ा होता
इसका भी निदान ढूंढने दोस्त टेंशन मत लो
ये कहकर सब विशाल के गले लग गए
विशाल को माहौल थोड़ा बदलने के लिए पिकनिक पर जाना था
विशाल के पैसे सबने दे दिए
विशाल ने कहा कल मैं अपने दोस्त के घर पढ़ाई करूंगा इससे पहले की उसे कुछ कहते विशाल सभी के साथ उनके घर आ गया
मानसी ने दादाजी को पूरी बात बताई और पूछा विशाल के मम्मी पापा को टेंशन से कैसे निकाल सकते
दादाजी कुछ देर सोचने लगे
फिर बोले मेरे पास कुछ पैसे है जो ये सोचकर रखे थे क्या पता कब जरूरत पड़ जाए इससे विशाल के पति को बिजनेस फिर से शुरू करने मे मदद मिलेगी और हम उन्हें समझायेंगे
दादाजी ने सभी को कहा कपड़े बदलकर खाना खाकर जल्दी मिलों विशाल के घर आज ही जाना होगा
30 मिनट मे सब बच्चे दादाजी के पास आ गए
दादाजी बच्चों के साथ चल दिये विशाल के घर
वहां जाकर देखा विशाल के पिता जमीन पर लेटे हुए थे
उन्हें सबने मिलकर सोफ़े पर बिठाया
दादाजी ने कहा
आप इतने टेंशन क्यों लेते हैं बच्चों ने पूरी बात बता दी है आपको घाटा हुआ दुःख की बात है पर आपने अपनों को अनदेखा करा उनसे परायों जैसा व्यवहार करा मैं आपकी मदद करूंगा
पर मैं आपसे कैसे लूं सकता हूं पैसे
जब बिजनेस मे सफ़ल हो जाओ तब चुकता कर देना
ये सुनकर विशाल के पापा भावुक हो गए कहने लगे आज के समय कौन इतना सोचता है?
दादाजी विशाल के पापा के गले लग गए
उन्हें 200,000 रुपये दिए कहा की ये आपके काम आयेंगे पर इसको आप बिजनेस मे और फॅमिली मे लगाना पीने मे फिजूल करना
मैं आपको क्या कहकर संबोधित करूं ?
बच्चे मुझे दादाजी कहते बड़े ताऊजी कहते
ठीक है मैं भी ताऊजी कहूँगा
मैं अभी से पीने की आदत का त्याग करता हूं
दादाजी ने कहा ये तो बहुत ही अच्छी बात बात है क्या अब आप विशाल को पिकनिक पर भेजने के पक्ष मे है बस आप हाँ कर दीजिए उसके पैसे सबने मिलकर दे दिए
ये सुनते ही विशाल के पापा ने सभी धन्यवाद कहा
अंकल इसमे थैंक्स किस बात का विशाल हमारा दोस्त है दोस्त की मदद के लिए सोचा नहीं जाता
थोड़ी देर मे विशाल की मम्मी आ गयी उन्होंने विशाल के पापा को नींबु माँ अचार दिया
इससे जो थोड़ा भी असर था वो भी हट गया
विशाल की मम्मी ने आज खुशी का एहसास करा वो भी काफी साल बाद
विशाल के पापा ने विशाल को कहा
विशाल तुम पिकनिक पर जा सकते हो
ये सुनकर विशाल अपने पापा के गले लग गया
अगले दिन बस ने सभी बच्चों को उनके घरों से रिसीव करा और चल पड़ी बस
टीचरो को उनके घर से रिसीव किया गया
प्राकृतिक नजारे देख सके ऐसी जगह चलने को कहा ड्राइवर को
विशाल भी मंद मंद मुस्कुराने लगता
सभी ने पिकनिक पर बहुत एंजॉय करा
सभी बस मे वापस बैठ गए बस बस सभी को अपने घर पहुंचाने लगी
विशाल ले लिए आज का दिन बहुत खास था
घर मे टेंशन के कारण नंबर भी कम आने लगे थे क्योंकि पढ़ाई मे मन नहीं लगता था
अब जब टेंशन हटा विशाल का मन अब पढ़ाई मे लगने लगा
फिर जब अर्धवार्षिक परीक्षा हुई विशाल के क्लास मे सबसे ज्यादा नंबर आए थे
रिजल्ट देखते ही विशाल भावुक हो गया
विशाल के दोस्तों ने उसे पूछा अब जब सही हो गया तो अब क्यों दुःखी ?
ये तो खुशी के आंसू है
सभी ने विशाल को गले लगाया
अब विशाल बहुत खुश था पहले उसे घर मे कोई कुछ नहीं समझते थे अब उसे सुनना चाहते
ये सब हुआ उसके दोस्तों और दादाजी के कारण ।
समाप्त
22/4/2024
3:40 प्रातः
Pic credit - Pinterest
© ©मैं और मेरे अहसास
Related Stories