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एक भोला लड़का
पिछले भाग से निरंतर......

कोचिंग करने शहर भी नहीं जा पाया कारण रहा आर्थिक स्थिति, घर की स्थिति ज्यादा अच्छी न होने के कारण मयंक के पिताजी ने अपना छोटा सा एक व्यापार का काम शुरू किया। पिताजी के व्यापार में मयंक भी हाथ बटाने लगा। समय बीतता गया फिर वही एनडीए की परीक्षा की घड़ी आई लेकिन नियति मे कुछ और ही लिखा था शायद, इधर उसके बी एससी द्वितीय वर्ष के पेपर भी उधर एनडीए की परीक्षा। मयंक इधर जाए या उधर क्या करे, अपने महाविद्यालय मे भी संपर्क किया की पेपर की तारीख मे कुछ आगे पीछे हो जाए परंतु महाविद्यालय मे ज्यादा सिफारिश न होने के कारण ऐसा संभव न हो सका जिससे वह दोनों पेपर दे सके, अंततः वह उस परीक्षा को देने से रह जाता है क्योंकि बी एससी द्वितीय वर्ष की वर्षभर की मेहनत पर भी कहीं पानी न फिर जाए। वक्त अपनी गति से बीतता गया। अगली बार एनडीए की परीक्षा के अनलाइन फॉर्म होने शुरू हुए निश्चित तौर से मयंक भी अपना फॉर्म अनलाइन करवाने गया यह सोचकर की चलो अबकी बार पूरी लगन से पेपर देगा। जब वह फॉर्म अनलाइन करवाने लगा तब तक जिंदगी एक नई करवट ले चुकी थी।

निरंतर पढ़ने के लिए धन्यवाद।

शेष निरंतर पढ़िये अगले भाग में।

© Mr. Busy