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अविस्मरणीय उपदेश

एक दिन एक आदमी एक साधु के पास गया। बोला, "स्वामीजी, मुझे कोई ऐसा उपदेश कीजिये, जो मुझको सारे जीवन याद रहे। मेरे पास इतना समय नहीं है कि रोज आपके पास आऊं और घंटों बैठकर आपका उपदेश सुनूं ।"
साधु ने कहा, "ठीक है।" ह
साधु के आश्रम के निकट ही शमशान भूमि थी। साधु उसको वहीं ले गये । बेचारा आदमी बड़ा घबराया। उसने साधु से कहा, "महाराज, आप यह क्या कर रहे हैं ?"
साधु बड़े सहज भाव से बोले, "तुमने कहा था न कि मुझे कोई ऐसा उपदेश दो, जो जीवन भर याद रहे। मैं तुम्हें उसी के लिए यहां लाया हूं।"
थोड़ी देर में देखते क्या हैं कि लोग एक लखपति को लेकर आये और उसके बाद ही एक दरिद्र को। दोनों की चिता बनाई गई और दोनों को अग्नि को समर्पित कर दिया गया ।
साधु यह दिखाकर उस आदमी को वापस ले आये । अगले दिन फिर उसे बुलाया ।
वह आदमी आया । साधु उसे साथ लेकर पुनः शमशान भूमि में गये । वहां जाकर उन्होंने एक मुट्ठी राख लखपति की चिता की ली और एक मुट्ठी दरिद्र की चिता की। उस आदमी को वह राख दिखाते हुए उन्होंने कहा, "देखो, आदमी अमीर हो या गरीब, अंत में दोनों एक समान हो जाते हैं। उनमें कोई अंतर नहीं रहता ।"
आदमी की आंखें खुल गईं। वह इस उपदेश को जीवन भर नहीं भूला ।
© 🄷 𝓭𝓪𝓵𝓼𝓪𝓷𝓲𝔂𝓪