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कलम का घाव
बेटा विदेश में काम करता था उसनेे अपनी बुढ़ी माँ को अपनी बीबी के पास ही छोड़ गया था । बुढ़ी सास को रखना उसकी बीबी को गवारा नहीं था इसलिए बार बार अपने पति को खत लिखकर बुढ़ी माँ को वृद्धाश्रम में छोड़ने की बात करती और बेटा हर बार उसके बातों को टाल देता और अपनी बीबी से माँ को साथ रखने की गुजारिश करता ।

लेकिन एक दिन बेटे का खत उसकी माँ के हाथ लग गया और उसके
बेटे के लिखे शब्दों को पढ़कर जिगर में तीर की भांति लगा, बेटे ने
लिखा था " माँ को साथ रखो, मत वृद्धाश्रम जाने देना", पर माँ ने उसे इस तरह पढ़ी " माँ को साथ रखो मत, वृद्धाश्रम जाने देना और माँ खुद ही वृद्धाश्रम चली गई ।
बेटा जब वापस घर आया और उसे मालुम हुआ की उसकी माँ वृद्धाश्रम में रह रही है तो वह तुरंत जाकर माँ से मिला और जब उसके लिखे खत के वाक्य के दुविधा पूर्ण अर्थ के कारण उसकी माँ घर छोड़कर चली गई । वह समझाकर माँ को लाना चाहता पर वो नहीं आई, उसके बेटे के दिल में कलम का घाव आज भी ताजा है।

© 🙏🌹 मधुकर 🌹🙏