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अधूरा इश्क
आज एक अर्से बाद वो हमें किसी मोड़ पे मिल गए। हमनें देखा तो खुशी से आवाज दी, उन्होंने पीछे पलट के देखा तो वो भी मुस्करा उठे। ऐसा लगा कि हम उसी पुराने दौर में चले गए, उन्होंने ख़ामोशी तोड़ते हुए कहा,कैसी है आप ! हमनें मुस्कराते हुए कह दिया जैसे आप है हम भी वैसे ही है। हमारे पास बहुत सारी बातें थीं करने को लेकिन दोनों ही खामोशी से बस एक - दूसरे की आंखों में देख रहे थे। दोनों ही एक-दूसरे को बाहों में समेटना चाहते थे , लेकिन हालात के आगे मजबूर थे। बहुत कुछ चल रहा था मन में , तब तक एक कार के तेज हार्न से हम अपने ख्यालों से बाहर आए। फिर उन्होने अपनी घड़ी में समय देखा और बड़े प्यार से बोला, माफ़ करना मुझे अपनी बेटी के स्कूल जाना है, उसकी छुट्टी हो गई होगी अगर समय से नहीं गया तो वो गुस्सा हो जायेगी। मिट्ठू बहुत गुस्से वाली है। जब हमने ये सुना तो हमने हैरानी से कहा मिट्ठू ? उन्होंने कहा अभी मुझे जाना होगा , किसी दिन फुर्सत से मिलते हैं, ऐसे कहते ही वो स्कूटी स्टार्ट करके निकल गये, हमें कुछ पूछने का मौका ही नहीं मिला, हमें ये पूछना था कि आखिर उन्होंने हमारा निकनेम अपनी बेटी को क्यों दिया। क्या वो हमें आज तक याद करते हैं ? इसी उधेड़बुन में हम अपने घर की तरफ बढ़ने लगे। और हमारी ये मुलाक़ात भी हम दोनों की तरह ही अधूरी ही रह गई।।
© Anu