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एक नारी
एक नारी त्याग समर्पण ममता जज़्बात अहसास से भरी होती हैं
वक़्त आने पे सब पे भारी भी
पड़ सकती है
इतना आसान नहीं होता उसके अंतरआत्मा
की मन कि बात को जान पाना
उसके सब्र के बांध को नाप पाना
किसी आदमी के बस की बात नही
अगर वो किसी इन्शान को अपने दिल मे जगह देती है
तो वो इन्शान उसके लिये खुदा हो जाता है
उसके लिये उसकी खुशी के लिये हर वो संभव प्रयास करती है
जिससे वो उस इन्शान को अपना बना के रख रखे
बिल्कुल बच्चे सा नाजुक मन होता है उसका
जिससे प्रेम करती उसे खोने से बहुत डरती है
वो ऐसे ख्याल से ही सहम जाती है ऑंखे नम हो जाती है
आजीवन उसके साथ अपनी जिंदगी बिताना चाहती है
उसके दूर व्यवहार करने पे भी सब सह जाती है
क्योकि वो उससे यथार्थ प्रेम जो करती है
अपने आत्मसम्मान को भी दांव पे लगा देती है
जिससे वो बेपनाह प्रेम करती है
पर हर बार उसे तिलस्कार मीले तो वहाँ से वो चुपचाप दूर हो जाती हैं
अगर कोई व्यक्ति उसके दिल से उतर गया फिर कभी वो उसकी नजर में ऊपर नही उठ पाता है
वो उसके लिये तुच्छ हो जाता है
अगर एक नारी को समझना है तो उनकी भावनाओं को समझना
क्या चाहती है क्या कह रही बस उसे सुन्ना
दो बोल प्यार के बोल देना बदले में तुमको बेशूमार प्यार अपनापन मिलेगा
बस तुम उसकी इज्जत और कदर करके देखना
खुद को लूटा के तुमपे सब न्योछावर कर देगी
वो नारी तुम्हें कभी माँ कभी बेटी कभी बीवी तो कभी प्रेमिका के रूप में नजर आएगी