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मातृभाषा दिवस
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व में भाषायी एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा मिले।

यूनेस्को द्वारा अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की घोषणा से बांग्लादेश के भाषा आन्दोलन दिवस (बांग्ला: ভাষা আন্দোলন দিবস / भाषा आन्दोलोन दिबॉश) को अन्तरराष्ट्रीय स्वीकृति मिली, जो बांग्लादेश में सन १९५२ से मनाया जाता रहा है। बांग्लादेश में इस दिन एक राष्ट्रीय अवकाश होता है।

२००८ को अन्तरराष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्त्व को फिर दोहराया है।


अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
भारत में मध्यप्रदेश के और उत्तर प्रदेश के बहुत बड़े क्षेत्र में बुंदेलखंड में बुंदेलखंडी भाषा बोली जाती है और इसके बोलने वाले यद्यपि बहुत हैं तथापि बच्चों में अन्य भाषाओं के प्रति लगाव हो रहा है इसलिए इसके लिए आवश्यक कार्यवाही की जाए एवं बुंदेलखंडी भाषा के उन्नयन तथा शासकीय प्रयोजनों में बोलनेकी कोशिश करना आवश्यक है।
२००० : अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का उद्घाटन उत्सव
२००१ : द्वितीय वार्षिक उत्सव
२००२ : भाषा विविधता : खतरे में 3000 भाषाएं ( नारा : भाषाओं की आकाशगंगा में, हर शब्द एक सितारा है )
२००३ : चौथा वार्षिक उत्सव
२००४ : बच्चों को जानने के लिए शिक्षा
२००५ : ब्रेल तथा अन्य भाषाओं में 'साइन इन' करें
२००६ : भाषाएं और साइबरस्पेस
२००७ : बहुभाषी शिक्षा
२००८ : अन्तर्राष्ट्रीय भाषा वर्ष
२००९ : दसवाँ वार्षिक उत्सव
२०१० : मैत्री संस्कृति के लिए अंतर्राष्ट्रीय वर्ष
२०११ : सूचना और संचार प्रौद्योगिकी
२०१२ : मातृभाषा शिक्षा और समावेशी शिक्षा
२०१३ : मातृभाषा में शिक्षा के लिए पुस्तकें
२०१४ : वैश्विक नागरिकता के लिए स्थानीय भाषाओं तथा विज्ञान पर बल
२०१५ : शिक्षा के माध्यम से शिक्षा में समावेश : भाषा महत्वपूर्ण है (पेरिस में कार्यक्रम)
२०१६ : गुणवतापूर्ण शिक्षा, शिक्षण की भाषा तथा सीखने के परिणाम
२०१७ : बहुभाषी शिक्षा के माध्यम से टिकाऊ भविष्य की ओर
२०१८ : इस वर्ष का सार (थीम) है, - 'हमारी भाषा ही हमारी संपत्ति'
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