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शिक्षका बनने कि कहानी
ऐसे कई सपने देखे हैं अपने लिए और सभी के लिए
पर जब मां ने कहा कि मेरी बेटी को शिक्षका बनते देखने का मेरा सपना है उस समय छूटी सी आयु थी मेरी पर मां ने कहा वह तब ही सोच ली पूरा करूगी।।
चाहें पत्थर जैसे राह हों या हर मुस्किल पार करनी हो
पर जैसे सोच वादा कर खुद से
इतना आसान नहीं था पर नामुमकिन भी नहीं था
पढ़ाई लिखाई करती गई १०वी पास कि अब थोडा सा करवा है पर हमारे समाज से पहले घर में दो तरफा सा माहौल हो एक ने कहा पढ़ूगी आगे और दूसरे ने हो गया अब घर का काम काज करेंगी कुछ दिनों में शादी हो जायेगी तो क्या करेंगी पढ़ लिख।
नाम लिखने आता हैं वहीं बड़ी बात है
पर पूछ कि पढ़ना हैं पढ़ूंगी अच्छे से तुम जानो।
मैं ने हा कह दी और कोई रास्ता नहीं था
दिल लगा पढाई भी और घर का काम भी।
कई मुस्किले आई पढ़ने के लिए घर में बिजली नहीं था
पैसे कम और घर में सभी आपस मैं बनती नहीं रोज किसी ना किसी बात पर लड़ाई झगड़ा होता रहता था
मन में सवाल उठता धुंआ सा
कि ऐसे होते हैं परिवार
नहीं बनना मुझे अपना परिवार शादी
पर जो सपना देखा था मम्मी ने सच कर दिखना और सिलाई का सपना मां पापा ने वह भी साथ में कि १२वी पास कर।।
यहां से जीवन ही पूरा बदल गया मेरा
आगे की पढ़ाई लिखाई के लिए जग लड़ना पड़ा।
अपनो को मनाना पारा।
बहुत किसी को हमपर भोरसा नहीं था की आगे कि पढ़ाई कर समझ पायेगी।
और लड़की हैं पढ़ के करेंगी क्या
जितना पढ़ना था हो गया
अब शादी कि बात
घर में बैठ कर सिलाई कढ़ाई का काम
खाना पीना बनाना आदि कार्य
पर जा ज़िद कर आगे के लिए बात कर नाम लिख
घर में मानना सभी को
उस समय आगे कि पढ़ाई लिखाई करने जा इज्ज़त नीलाम कर दी ऐसा कहा गया कई ताने और मार
पर कुछ कर जाने कि सोच रखी थी
आगे बढ़ी सब कुछ ठीक कर समझा।
बहुत उतार चढ़ाव आए जीवन में
पर शिखते जा रही थी
फिर कई दूसरे विषय पर आयोजित प्रतियोगिता में भाग ले पास कि नाम कि अपनो का बस यह की लड़की भी अपने घर समाज देश का नाम रोशन कर सकती हैं वह मैं भी बोलना चहती थी पर सोच समझ कि बोल कर नहीं कर के दिखाना है बस लगी रही।

फिर हज़ार मुस्किलो बाद मुकाम हासिल हुई
पास कर।
कंप्यूटर और उच्चतम मध्य प्रथम सैनी तथा 12वीं कक्षा के बच्चों को पटाने का अवसर मिला ।
कई ट्यूशन कराती थी।
सुराती दिन में कई मुस्किल आई पर करती रहीं।
सत्य कर्मठ हो कर अपना कर्म करते जाती गई
मां सपना पूरा कि
और अपने जीवन की नई शुरुआत की
शिक्षा का बाल अपने जीवन को उसके अनुसार एल हर सकारात्मक विचार उत्पन्न हो कई कार्य करते गई सच्ची भावना लगन से आगे भी ऐसे ही करते-करते जाना है जीवन में जो भी पाया जो भी सीख जो भी पा रहे हो सभी उनकी देन है विद्या जो ज्ञान जो समर्पण जो जाति हर चीज का भेद बताएं वह ज्ञान है उसी को विद्या कहते हैं एक शिक्षिका होने के नाते मेरे बहुत सारे कर्तव्य है और मुझे उन सभी को निष्ठा भावना से समर्पित हो निभाना है और कई सारे ऐसी घटनाएं इसका वर्णन करनासायेद हो पाएगा
अपने देश के बच्चों और समाज देश का नाम रोशन कर सही शिक्षा सही उद्देश्य सही लक्ष्य सही दिशा प्रदान करना ही एक शिक्षिका का धर्म है एक समाज की नीव रखने से पहले सारे कच्चे मिटी के घरों को शिचना होगा
उसे आकर देना होगा।
पढ़ा ११और १२के छात्र-छात्राओं को।
दो कई साल
फिर विद्यालय के और अपना सफर तय किया
अपने घर की जिम्मेदारी उठाने के लिए
विद्यालय में
कर्मचारी बन कार्य की एक माह या दो माह
फिर दूसरे विद्यालय में हिंदी शिक्षिका के पद पर नियुक्त हुई।
अच्छे से पढ़ाई लिखाई और ख़ुद को साबित कर
बच्चो को अपना ज्ञान प्राप्त कराओ और उनकी बातों को सुनो।।
और बहुत सारी बातें

शिक्षा का सफर जारी है आगे

✍️✍️✍️✍️बबिता कुमारी ✍️✍️✍️✍️

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