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बड़े मियां
बड़े मियां जैसा दिलचस्प इंसान शायद ही कोई उस मोहल्ले में था। कोई गलती से उनके द्वार पर दस्तक तो दे कर देखे, मजाल है वो बिना उसका इतिहास,भूगोल जानें वो उसे घर से विदा होने दें ।
सनकी तो वैसे वो जवानी से ही थे,मगर बुढ़ापा आते आते पानी सर के ऊपर से बहने लगा था । उनका इकलौता बेटा शहर से दूर नौकरी करता था ।घर पर सुरक्षा के मध्य नजर कुछ कैमरे लगा रखे थे। पहले तो मियां जी को कैमरे की खास जरूरत नहीं थी लेकिन जब से चलने फिरने में असमर्थ हो गए तब से सारा दिन टीवी स्क्रीन के आगे बैठकर घर और घर के आस पास क्या क्या होता था वो ही देखते रहते थे।
अब घर के सब लोगों ने कितनी सांसें ली,इसका भी पता मियां जी को होता था।
" इतनी देर तक बाहर क्यों खड़ी थी? ..
"क्या बातें कर रही थी?...
"फलाना व्यक्ति क्यों आया था?...
"घर के आगे झाड़ू क्यों नहीं लगाई?...
"अभी तक सूखे कपड़े तार से क्यों नहीं उतारे?...
इसी तरह न जाने सारा दिन कुछ न बोलते और सबको टोकते रहते थे ।
सब उनकी हरकतों से परेशान हो चुके थे,यहां तक की उनकी पत्नी भी उनके सामने आने से कतराती रहती थी।
जैसे-जैसे मियां जी की उम्र बढ़ती जा रही थी उनकी सनक पागलपन में तब्दील होती जा रही थी । वजह बेवजह उनका झगड़ा करने की आदत से परेशान हो कर उन्हें किसी मानसिक हॉस्पिटल में एडमिट करने पर सबकी सहमती बनी ।
अब घर में इतनी बड़ी प्लानिंग हो और मियां जी को पता न चले ये तो हो नहीं सकता था । ये सब जान कर उन्होनें घर को सर पर उठा लिया और सबको घर जायदाद से बेदखल करने की धमकी दे डाली । बिना कुछ खाए बडबडाते वो सो गए। भगवान जाने वो स्वप्न था यह हकीकत ,मियां जी ने देखा कि वह धुंए की नदी को पार करते हुए ऊपर आकाश की तरफ उड़ रहे हैं...

क्रमश:

© Geeta Dhulia