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प्रेम पर टिप्पणी
प्रेम क्या है??
आप जानते हो प्यार किसे कहते हैं?
प्रेम दो शरीरों का नहीं, दो मनों का नहीं
दो आत्माओं का मिलन
होता है
हम प्रेम की गरिमा को भली भांति
नहीं समझ पाते
प्रेम तो करते हैं मगर प्रेम
का महत्व नहीं समझ पाते
हम आकर्षण और वासना
को प्रेम समझ बैठते हैं
जो कि एक चिन्ता जनक
बात है
आप ये बात लिख लो
जहां आकर्षण और वासना
होगी वहां प्रेम होगा ही नहीं
क्यों कि वो प्रेम केवल
शरीर से है एक बार
शरीर प्राप्त हो गया तो
वो प्रेम भी लुप्त हो जायेगा
जहां त्याग और समर्पण
की भावना है वहां प्रेम है
कोई आपके पैसे से, कोई
आपके रंग रूप से, कोई
आपके चेहरे से तो कोई
आपके रुतबे से प्रेम
करता है तो ये केवल
क्षणिक प्रेम है क्योंकि
प्रेम में किसी चीज की
मांग नहीं की जाती बल्कि
बस प्रेम के बदले बेपनाह
प्रेम ही दिया जाता है
प्रेम का रिश्ता मांगें पूरी
होने से नहीं बल्कि विश्वास
और जज्बातो से चलता है
एक दूसरे के समझदार
होने से चलता है
एक बात बताइए
कभी आपको उन पर विश्वास होता है
कभी आपको उन पर विश्वास नहीं होता है
अगर आपको खुद उन पर पूर्ण विश्वास
नहीं है तो आप सच्चा प्रेम नहीं करते


आदमी की सबसे बड़ी कमजोरी
है -उम्मीद करना
आप कोई उम्मीद रखने के
बजाय अपने साथी को
पूर्ण स्वतंत्रता दो
अब आप बोलेंगे पूर्ण
स्वतंत्रता क्यों दें??
तो मेरे साथियों,
आपने अपने प्रेमी को
खरीद थोड़े लिया है जो
वो तुम्हारे नियंत्रण में रहेगा
उसकी जिंदगी है वो चाहेगा
वैसा करेगा
कम से कम 3० % रिश्ते
नियंत्रण करने की वजह
से ,15% रिश्ते लड़ाई झगड़ों
की वजह से,20%रिश्ते
धोखे की वजह से,10%रिश्ते
गलतफहमियों की वजह से
, 15%रिश्ते किसी की खुशी के
लिए अपने प्यार का
बलिदान करने की वजह से और
10%रिश्ते मजबूरियों की
वजह से टूट जाते हैं

© Shaayar Satya