अजनबी से परिचित का सफ़र (भाग्य 2 )
पहले भाग "उसका नाम राधिका था" से आगे....
कृष्ण, ओ कृष्ण ऐसा बोल कर उसने मुझे हिलाया और बोला, "तो ये कृष्ण भी राधा के दीवाने हो गए! मतलब राधिका के। " मैंने तुरंत न कहा और बोला ये तुझे किसने कहा, मैंने अपने क्रोध में बदलाव नही किया और उसी वेग में कहा, मैं तो सर को देख रहा था, देख सर आगए। उसी वक़्त सर उसी के तरफ़ बनी दरवाजे़ से अंदर आ रहे थे। इतना बोल कर मैं अपनी दिल की बात को दिल में रख कर, अपने कॉपी को खोल पढ़ने लग गया। मैं उसे उस वक़्त अपनी दिल की बात कह देता परंतु मैं नही चाहता था ये बात किसी भी तरह किसी तक पहुँचे, शायद ये बात मैं उसे बताता और वो सबको ये बात बता देता और ये बात फ़िर राधिका को पता चल जाती। मुझे उस वक़्त डर था कि वो इस मामूली से लड़के से प्यार क्यों करेगी! इसलिए मैंने सोचा कुछ हासिल कर लूँ, उसके बाद सबसे पहले राधिका को,...
कृष्ण, ओ कृष्ण ऐसा बोल कर उसने मुझे हिलाया और बोला, "तो ये कृष्ण भी राधा के दीवाने हो गए! मतलब राधिका के। " मैंने तुरंत न कहा और बोला ये तुझे किसने कहा, मैंने अपने क्रोध में बदलाव नही किया और उसी वेग में कहा, मैं तो सर को देख रहा था, देख सर आगए। उसी वक़्त सर उसी के तरफ़ बनी दरवाजे़ से अंदर आ रहे थे। इतना बोल कर मैं अपनी दिल की बात को दिल में रख कर, अपने कॉपी को खोल पढ़ने लग गया। मैं उसे उस वक़्त अपनी दिल की बात कह देता परंतु मैं नही चाहता था ये बात किसी भी तरह किसी तक पहुँचे, शायद ये बात मैं उसे बताता और वो सबको ये बात बता देता और ये बात फ़िर राधिका को पता चल जाती। मुझे उस वक़्त डर था कि वो इस मामूली से लड़के से प्यार क्यों करेगी! इसलिए मैंने सोचा कुछ हासिल कर लूँ, उसके बाद सबसे पहले राधिका को,...