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वो बची हुई रोटी
रात की बची हुई रोटी सुबह को
हम सब बहन भाई चाय से खाया
करते थे उस ज़माने में अन्न का महत्व हमें
पता था कितनी मेहनत करके हमारे
माता-पिता कमाते थे और अपने
बच्चों का पालन- पोषण करते थे
आज उस बची हुई रोटी का कोई
महत्व नहीं है या तो कूड़े में फेंक
दी जाती है या फिर गाय या भैंस को
खिला देते हैं यहां तक कि बासी खाना
भी फैंक दिया जाता है आजकल की
जनरेशन यह सब करने में बिल्कुल
नहीं शर्माती है अगर खाना बनाने का
मन नहीं है तो ओनलाइन आ जाता है
उन्हें पता होता है यह खाना हमारे
स्वास्थ्य के लिए हानिकर है फिर भी
ध्यान नहीं रखते ।
मैं आज भी उस खाने को गर्म करके अच्छी तरह से पैक करती हूं और जरूरतमंद लोगों को देती हूं साथ में पानी की बोतल भी देती हूं मेरे हसबैंड भी इस काम में मेरी मदद करते हैं और मुझे यह नेक काम करने में बहुत सुकून मिलता है खुशी का एहसास होता है ।