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ईश्वर के प्रेम की कहानी

ईश्वर के प्रेम की कहानी

पात्र:

राधा: एक गरीब लड़की, भगवान कृष्ण की भक्त

गोविंद: राधा का पति, एक दयालु और ईश्वर-भक्त व्यक्ति

मोहन: राधा और गोविंद का बेटा, एक शरारती और स्वार्थी बच्चा

भगवान कृष्ण: राधा के प्रिय भगवान

कहानी:

राधा एक गरीब परिवार में पैदा हुई थी। बचपन से ही वह भगवान कृष्ण की भक्त थी। वह अक्सर मंदिर जाती और कृष्ण के नाम कीर्तन करती थी।

जब राधा बड़ी हुई तो उसकी शादी गोविंद नाम के एक दयालु और ईश्वर-भक्त व्यक्ति से हुई। गोविंद भी राधा की तरह भगवान कृष्ण के भक्त थे।

शादी के कुछ साल बाद राधा और गोविंद को एक बेटा हुआ। उन्होंने उसका नाम मोहन रखा।

मोहन बचपन से ही बहुत शरारती और स्वार्थी था। वह हमेशा अपनी खुशी के बारे में सोचता था।

एक दिन राधा और गोविंद मंदिर में गए। मोहन भी उनके साथ गया।

मंदिर में राधा और गोविंद भगवान कृष्ण की पूजा कर रहे थे। मोहन मंदिर में इधर-उधर भाग रहा था।

अचानक मोहन की नजर मंदिर में रखे हुए एक सोने के मुकुट पर पड़ी। वह मुकुट बहुत सुंदर था।

मोहन मुकुट को चुराने का सोचने लगा। उसने इधर-उधर देखा। कोई उसे देख नहीं रहा था।

मोहन ने मुकुट उठाया और अपने कपड़े में छिपा लिया।

उसके बाद राधा और गोविंद घर वापस आ गए।

रात में राधा को सपना आया। सपने में भगवान कृष्ण ने राधा से कहा कि मोहन ने मंदिर से मुकुट चुराया है।

राधा सुबह उठी और गोविंद को सपने के बारे में बताया।

गोविंद को बहुत दुःख हुआ। उन्होंने मोहन को बुलाया और उससे पूछा कि क्या उसने मंदिर से मुकुट चुराया है।

मोहन ने पहले तो झूठ बोला, लेकिन बाद में उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया।

गोविंद ने मोहन को समझाया कि चोरी करना गलत काम है। उन्होंने मोहन को मंदिर में जाकर भगवान कृष्ण से क्षमा मांगने के लिए कहा।

मोहन मंदिर गया और भगवान कृष्ण से क्षमा मांगी।

भगवान कृष्ण ने मोहन को क्षमा कर दिया।

इस घटना के बाद मोहन बदल गया। वह अब पहले जैसा शरारती और स्वार्थी नहीं रहा।

वह भगवान कृष्ण का भक्त बन गया और हमेशा सच बोलने और दूसरों की मदद करने लगा।

नैतिकता:

ईश्वर का प्रेम हमेशा हमारे साथ रहता है। अगर हम गलती करते हैं तो ईश्वर हमें क्षमा कर देता है।

हमें हमेशा सच बोलना चाहिए और दूसरों की मदद करनी चाहिए।


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