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कठिन फै़सला
बहुत ही दुविधा थी, और स्थिति तनावपूर्ण, क्या मैं ये कर सकता था। अंगिनत प्रयासों के बाद भी मैं ये नही कर पा रहा था। हाथ में लेकर थोड़ी ऊँचाई तक ला पाता फ़िर भय और कंपन के बाद मैं उसे उसकी जगह पर छोड़ देता। मौसम भी मुझे ललकार रहा था, जैसे युद्ध भूमि में वो मुझे मात देना चाहता हो। मैंने भी अत्यंत कठोर फैसला ले लिया था और अगर न लेता तो घरवाले मुझे माफ़ नहीं करते। कठोर भरी नज़रें से मेरे पापा मेरी तरफ़ देख रहे थे, जैसे उनको ख़बर थी कि मैं शायद ये न कर पाऊँ। परंतु मैंने भी पूरी तरह से ये संकल्प ले लिया था कि हर हाल में ये कार्य जो मेरे लिए अत्यंत कठिन है उसे सिद्ध करके दिखाऊँगा। मैंने जैसे ही उस कार्य को करने हेतु अपनी हाथों को ससक्त किया मौसम ने फ़िर...