अलविदा
धोखेबाज़, तुच्छ, निकृष्ट अपने को जाने क्या समझती है !बात नहीं करूँगा कभी भी ।
ऐसी दोस्त कभी नहीं देखी जो दोस्त को ना समझें ,बीच में ही धोखा दे दे ।ऐसे शब्द न जाने और भी क्या क्या निकुंज बड़बड़ाता ही रहा।
ग़ुस्सा चरम सीमा पर था ,शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था ।जाने अपने को क्या समझती है दूसरों की भावनाओं की तो कोई क़दर ही नहीं है और भी न जाने क्या क्या! मन ही मन कुढ़ रहा था।
क्या ऐसे भी कोई दोस्ती का अंत करता है ऐसा सोचते सोचते निकुंज आज से एक वर्ष पहले की दुनिया में खो गया ,जब पहलेपहल अनु से उसकी दोस्ती हुई थी कितना ख़ुश था वो ,लगता था सारी दुनिया ही मिल गई उसको।
रोज़ बातें होती ,ख़ूब मज़ाक , पढ़ाई की बातें ,घर की बातें और भी न जाने क्या क्या!!! बहुत ख़ुश थे दोनों ही ,सपनों की दुनिया में खोए रहते थे ,ऐसा लगता था ये दिन कभी ख़त्म ही न हो ।
ऐसे ही एक साल कब गुज़र गया पता ही नहीं चला ।सब ठीक चल रहा था, न जाने ऐसा क्या हुआ अनु को कि अचानक व्यवहार ही बदल गया ।बात बात पर लड़ने लगी ,हर छोटी बात पर बहस !!
निकुंज को लगा जैसे अनु की दुनिया में कोई और आ गया है ।ख़ूब लड़ाई होने लगी और अब तो बात चीत भी बंद हो गई ।
अचानक एक दिन अनु का मैसेज आया आप कैसे हो निकुंज ?
निकुंज का ग़ुस्से में बुरा हाल था उसने सोचा अनु को अपनी गलती का एहसास हो गया है !पर ये क्या ?
अनु चुप हो गई उसने कुछ नहीं बोला ,उसको पता था की निकुंज को उसकी असलियत का पता चलेगा तो टूट जाएगा इसलिए उसने चुप रहना ही उचित समझा ।
नियति का फ़ैसला अनु ने मंज़ूर कर लिया और निकुंज से दूर हो गई ।
अनु को अभी कुछ दिन पहले ही पता चला कि उसको इंफ़ेक्शन हुआ ,सोचा ठीक हो जाएगा परंतु भगवान को कुछ और ही मंज़ूर था शायद उसको अपने पास बुलाना चाहता इसलिए कैंसर का बहाना ढूंढ लिया ।
नियति उनकी दोस्ती टूटती देखती रही ,शबनम आंसू बहाती रही ,धीरे धीरे सब शांत ,मौन हो गया ।
अनु निकुंज से अलविदा कहना चाहती थी पर कह न सकी ……
सब शांत ……..😞
मौन 😞
© गुलमोहर
ऐसी दोस्त कभी नहीं देखी जो दोस्त को ना समझें ,बीच में ही धोखा दे दे ।ऐसे शब्द न जाने और भी क्या क्या निकुंज बड़बड़ाता ही रहा।
ग़ुस्सा चरम सीमा पर था ,शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था ।जाने अपने को क्या समझती है दूसरों की भावनाओं की तो कोई क़दर ही नहीं है और भी न जाने क्या क्या! मन ही मन कुढ़ रहा था।
क्या ऐसे भी कोई दोस्ती का अंत करता है ऐसा सोचते सोचते निकुंज आज से एक वर्ष पहले की दुनिया में खो गया ,जब पहलेपहल अनु से उसकी दोस्ती हुई थी कितना ख़ुश था वो ,लगता था सारी दुनिया ही मिल गई उसको।
रोज़ बातें होती ,ख़ूब मज़ाक , पढ़ाई की बातें ,घर की बातें और भी न जाने क्या क्या!!! बहुत ख़ुश थे दोनों ही ,सपनों की दुनिया में खोए रहते थे ,ऐसा लगता था ये दिन कभी ख़त्म ही न हो ।
ऐसे ही एक साल कब गुज़र गया पता ही नहीं चला ।सब ठीक चल रहा था, न जाने ऐसा क्या हुआ अनु को कि अचानक व्यवहार ही बदल गया ।बात बात पर लड़ने लगी ,हर छोटी बात पर बहस !!
निकुंज को लगा जैसे अनु की दुनिया में कोई और आ गया है ।ख़ूब लड़ाई होने लगी और अब तो बात चीत भी बंद हो गई ।
अचानक एक दिन अनु का मैसेज आया आप कैसे हो निकुंज ?
निकुंज का ग़ुस्से में बुरा हाल था उसने सोचा अनु को अपनी गलती का एहसास हो गया है !पर ये क्या ?
अनु चुप हो गई उसने कुछ नहीं बोला ,उसको पता था की निकुंज को उसकी असलियत का पता चलेगा तो टूट जाएगा इसलिए उसने चुप रहना ही उचित समझा ।
नियति का फ़ैसला अनु ने मंज़ूर कर लिया और निकुंज से दूर हो गई ।
अनु को अभी कुछ दिन पहले ही पता चला कि उसको इंफ़ेक्शन हुआ ,सोचा ठीक हो जाएगा परंतु भगवान को कुछ और ही मंज़ूर था शायद उसको अपने पास बुलाना चाहता इसलिए कैंसर का बहाना ढूंढ लिया ।
नियति उनकी दोस्ती टूटती देखती रही ,शबनम आंसू बहाती रही ,धीरे धीरे सब शांत ,मौन हो गया ।
अनु निकुंज से अलविदा कहना चाहती थी पर कह न सकी ……
सब शांत ……..😞
मौन 😞
© गुलमोहर