...

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बर्बादियों के किस्से
बर्बादियों के किस्से तो मेरे बहुत है
सुनाऊ भी तो क्यों सुनाऊ किसी को

मरहम लगाने के बजाय जलाने वाले बहुत है
नमक मिर्च लगा कर दुनिया में फैलने वाले बहुत है

वक़्त के साथ अब चलना सिख लिया
अपने दर्द छुपा के मुस्कुराना सिख लिया

जब दर्द बर्दाश्त से बाहर हो जाये
तन्हाई में जाके खूब रो लेते है हम

इतने से भी बात ना बने तो कागज कलम लेके
अपने दर्द की दास्तां सजा लेते है कोरे पन्नो में

दिल के ग़ुबार कुछ कम हो जाते है
उठ फिर पुरानी जिंदगी में लौट आते है

पहले की तरफ फिर से जीने लगते है
बेवजह ही सबके सामने मुस्कुराने लगते है

मेरे बर्बादियों के किस्से तो बहुत है
दिल करता कभी कभी छोड़ जाऊँ इस जहाँ को सदा के लिये

पर जिसने दर्द दिया उससे ज्यादा प्यार मेरे अपनों ने दिया
उसकी सूरत आँखो में झूल जाती है उनके लिये सब सह जाती हूं

अब खुद को इतना मजबूत कर लिया है
पत्थर सा दिल अपना बना लिया है

कर ले ऐ जिंदगी तुझे कितना सितम अब करना है मेरे सब्र के आगे तेरे हर इम्तिहान फीके है