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स्वास्तिक चिन्ह और हिटलर हाकिनक्रूज

// स्वास्तिक चिन्ह और हाकिनक्रूज //

स्वास्तिक चिन्ह सनातन धर्म में एक शुभ चिन्ह माना गया है और इसका वर्णन ऋग्वेद में मिलता है।

परंतु हिटलर का चिन्ह हाकिनक्रूज क्रिश्चन पंथ के कान्वेंट से लिया गया है।
दोनों के दिखने में कुछ समानता ज़रुर है परन्तु थोड़ा सा ध्यान देने पर ही अंतर जल के समान साफ़ नज़र आने लगता है। तो आइए जानें सत्य क्या है और विश्व भर में फैलाए गए मिथ्य से कैसे बचें।

हिंदू धर्म में स्वास्तिक के चिन्ह को बेहद शुभ माना जाता है. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करते समय स्वास्तिक के चिन्ह का निर्माण करना आवश्यक होता है. इसके बिना पूजा का शुभारंभ नहीं होता. स्वास्तिक के चिन्ह को सौभाग्य का सूचक माना गया है. ऋषि-मुनियों ने आध्यात्मिक अनुभव के आधार पर मंगल भाव को प्रकट करने और जीवन में खुशियां भरने वाले चिन्हों को प्रकट किया था. इन्हीं चिन्हों में से एक है स्वास्तिक का चिन्ह. हिंदू धर्म शास्त्रों में स्वास्तिक के चिन्ह को विष्णु भगवान का आसन और माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. स्वास्तिक चिन्ह को चंदन, कुमकुम अथवा सिंदूर से बनाने पर ग्रह दोष दूर होतें है. धन लाभ का योग बनता है. माना जाता है कि घर में स्वास्तिक का चिन्ह बनाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

हिंदू धर्म में कई सारे ऐसे चिन्ह हैं, जिनको शुभ माना गया है. इन्हीं में से एक है स्वास्तिक का चिन्ह. स्वास्तिक का अर्थ अच्छा होता है. स्वास्तिक की सबसे खास विशेषता है कि इसे घर की जिस भी दिशा में बनाया जाता है, वहां पर सकारात्मक ऊर्जा 100 गुना तक बढ़ जाती है. हिंदू धर्म को मानने वाले बहुत से लोग इसे अपने घर के दरवाजे घर के अंदर कई स्थानों पर बनाते हैं.

-ज्यादातर लोग स्वास्तिक के चिन्ह को एक-दूसरे से काटती हुई दो रेखाओं के माध्यम से बना लेते हैं. लेकिन ये इसे बनाने का सही तरीका नहीं है. हिंदू धर्म के प्रसिद्ध ऋग्वेद में स्वास्तिक को सूर्य का प्रतीक भी माना गया है. इसकी चार भुजाओं को चार दिशाएं बताया जाता है. विज्ञान की माने तो इसे गणित का एक चिन्ह माना गया है. ये चिन्ह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की ऊर्जा का प्रवाह करता है. इसलिए बहुत जरूरी है कि इसे सही तरीके से और सही दिशा में बनाया जाएं।

कैसे बनाएं स्वास्तिक -
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि स्वास्तिक बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसे क्रॉस करके ना बनाएं. ज्यादातर लोग को यह पता नहीं होता. वह सबसे पहले प्लस का साइन बनाते हैं और फिर स्वास्तिक की अन्य भुजाएं. मगर इस तरह से बनाए गए स्वास्तिक को शुभ नहीं मानते. स्वास्तिक का हमेशा पहले दाएं का भाग बनाना चाहिए फिर बाएं. इस तरह बने स्वास्तिक को ही शुभ माना गया है।

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© Nik 🍁