...

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रंगमंच कि कहानी (पार्ट _1)
आज से करीब दो साल पहले संशोधित किया गया था बबिता को रंगमंच पे बुला आन सह सहमनित कर।।

अक्सर की तरह कालेज अपने दोस्त संग जाती थीं पर आज उसके दोस्त का तबियत बिगड़ी हुई थी थोड़ी तू बोली बबिता से कि आजमैं नहीं आ पाओगी।।
तो बबिता बोली थोडा सा उदास हो ठीक है कोई नहीं री तो पहले अपना खियाल रख ठीक है मै जा रही हूं कालेज।।

पता नहीं मुझे सर फोन किए और बोले कि तुम्हे अवॉर्ड मिलेंगा लाइब्रेरी का बेस्ट अवॉर्ड इसीलिए जाना होगा री तू आराम कर।
तब उसकी दोस्त बोली यार मुझे माफ कर देना मैं भी जाती बस तबियत ख़राब है तो नहीं उठ पा रही हो ना जा रही हूं माफ कर देना हा।।
कोई बात मैं समझ सक्ति हों चल तो आराम कर मैं चलती हूं नही देरी हो जायेगा ना ठीक है बाय।।

अब बबिता अपने दोस्त अमु को फोन कि बोली कॉलेज आयेगी तो अमु बोली हां आओगी तू कहा है में निकल रहि हो वह लाइब्रेरी सर बुलाए हैं

भाई के फोन पर किए
बोला मेरा भाई
मुझे लगा पहले मज़ाक रहा हैं
पर वाद मैं फिर किए
तब बात किए तू बोले सर फोन किए
पूरे कालेज में तुम्हारा नाम आया है
तू कल आना हा रंगमंच के सामने
मैं बोली ठीक है सर तू पूछी कब आने हा
बोले ठीक है पहले ही आ जाओगी



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बबिता कुमारी
© story writing