...

25 views

फ़ैसला
#Good Morning कह कर रोज की तरह वो उस दिन सुबह उठकर मेरे पास आकर बैठ गई,कहने लगी कृष्ण हम कभी एक नही हो सकते हैं इस बात को तुम भी भली भांति जान रहे हो ,बेहतर है की हम दोनो अब दूर किराए पर अपना अपना कमरा ले लेते हैं,पापा भी अब शक करने लगे हैं, मां भी बात बात में कहती हैं कि पार्टनर फीमेल रखो मेल नहीं,मैं अब तक उनको समझाती रही की मां मैं अकेली रहती हूं उस शहर में , अब लोगों की मानसिकता पहले की तरह नहीं रही समाज की तरफ,मैं निकलती हूं तो मुझे लोग ऐसे देखते हैं जैसे लड़की नहीं देखी हो,उनकी नजर मुझे झुक के चलने से मजबूर कर देती हैं,ऐसे में अगर किसी लड़के के साथ रह रही हूं तो इसका मतलब ये नही की मैं गलत हूं,वो लड़का बहुत अच्छा है ,उसी गाड़ी में मैं भी चली जाती हूं ऑफिस,और वापस उसी की गाड़ी में सुरक्षित घर आ जाती हूं,दोनो मिलकर खाना बना लेते हैं,खा लेते हैं और सो जाते हैं, इसमें कोई गुनाह तो नही है ,मां कहती हैं कि तुम अपनी जगह ठीक हो लेकिन ,तुम्हारे पापा को ये बात बिलकुल पसंद नहीं है ,हर रोज जब तुमसे बात करके टेलीफोन रखती हूं,तभी वो मुझसे किसी न किसी बहाने झगड़ा करते हैं,मैं रोज उनकी कहा सुनी से थक गई हूं ,तुम या तो ट्रांसफर ले लो या तो कमरा अपना ले लो,लेकिन उसके साथ अब मत रहो,
कृष्ण मुझे पता है की तुम अपनी जगह ठीक हो लेकिन मेरे पापा समझ नही रहे हैं तो अलग हो जाते हैं,जिससे मां को भी सुकून मिले और समाज को भी,

मैं तृष्णा की बातों को बड़े गौर से सुनता रहा और रोता रहा,मुझे कुछ सूझ नही रहा था कि मैं कहां जाऊं,क्या करूं ,बर्तन रात के जूठे पड़े थे ,झाड़ू लगाना था,और कपड़े धुलने थे ,ये सब काम मेरे थे ,

तृष्णा की बात मेरे दिल को चीर कर जैसे करैले में लहसुन और मिर्च भर गई,

मैने पूछा तुम्हारा मन करे तो आज और साथ रह लेते हैं

उसने कहा साथ यही तक था ,अब और आगे मत दो साथ,

मैंने कहा आज मैं ऑफिस नहीं जाऊंगा
पहले कमरा ढूंढ लूं,अपना सामान वहां रख दूं फिर आफिस आऊंगा ,तुम तैयार हो जाओ ,इतना कहकर मैं तृष्णा के लिए चाय और ब्रेड लेने बाहर आया ,तो आंसू निकल पड़े, मैं थोड़ी देर इधर उधर घूमता रहा,लेकिन दिमाग ठिकाने नही था ,
चाय लेकर आया दोनो ने रोज की तरह पिया,
उसने पूछा मैं भी न जाऊं आफिस?आज तुम्हारे साथ रह लूं,

मैने कहा बहुत टाइम नही है बात बात में तुम्हारी बस निकल जायेगी, चलो आज मैं कार से तुम्हे छोड़ देता हूं
कल से तुम अपने हिसाब से आना जाना ,

तृष्णा मुझे पकड़ कर बहुत रोई, कहने लगी मैं चली जाऊंगी तुम कमरा ढूंढ लेना ,खाना होटल से मंगा लेना ,खा लेना ,चिंता मत करो,हम लोग रोज ऑफिस में तो मिलते ही हैं,इतना कहकर हाथ मिलाती है और चली जाती है,

मैने अपना बैग पैक किया ,और आफिस जाकर पहले तृष्णा को घर की चाभी दिया ,
मैनेजर की केबिन में जाकर बैठ गया,
मैने छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र लिखा और मैनेजर को दे दिया ,

अब मैं अपने घर के लिए निकल पड़ा,घर आफिस से १५००किलोमीटर दूर था

दूसरे दिन सुबह घर पहुंचा तो मां ने पूछा
कृष्ण अचानक आए हो सब ठीक तो है?

मैने कहा हां मां
मुझे कमरा चेंज करना है इसलिए १५दिन की छुट्टी ले ली है,सोचा की घर चला जाता हूं,लौट कर कमरे का काम कर लूंगा ,

मैने पूछा पापा कहां है?
मां कहती है की तेरा कोई कागज आया है डाक घर में
उसी को लेने गए है आते ही होंगे,
इतने में पापा ने मुझे देखा और कहा

लो कृष्ण और खत साथ साथ आ गए , लो कृष्ण देखो तुम्हारा कोई कागज आया है

मैने जल्दी से लिफाफा खोला और खुशी का ठिकाना न रहा ,
वो मेरा नासा द्वारा संचालित एक अंतरिक्ष मिशन के लिए बुलावा पत्र था,

मेरे पास सिर्फ तीन दिन का समय था
मां कहने लगी कृष्ण तुम्हे कहीं नहीं जाना

अब तुम घर पर रहो १०दिन,आखिर तुम एक नौकरी तो कर ही रहे हो,

तो विदेश जाने की क्या जरूरत है,मुझे इतना पैसा नहीं चाहिए ,

बहन ने मां को समझाया कि इस जॉब से उस जॉब में दिन रात का फर्क है मां

कृष्ण को जाने दो ,आखिर एक साल की ही तो बात है ,फिर तो इसरो में जॉब मिल ही जायेगी,

लाख समझाने के बाद भी मां नही मानी
कहने लगी कि मुझे कुछ नहीं सुनना।।

कृष्ण तुम छुट्टी काट लो और खेत का भी कुछ काम करवा दो ,और अपनी नौकरी पे वापस जाओ

मैने वैसा ही करने का फैसला किया जैसा मां ने कहा

छुट्टी खत्म हुई तो निकल पड़ा घर से,दूसरे दिन सुबह डायरेक्ट ऑफिस पहुंच गया, मेरी नजर तृष्णा की टेबल पर गई ,

वहां कोई और नया कर्मचारी चयन होकर आया था ,

मैने प्यून(निर्मल) बुलाया और एक गिलास पानी मांगा ,
पानी लेकर निर्मल आया तो बिना पूछे ही तोते की तरह कहने लगा ,

सर तृष्णा का तबादला महाराष्ट्र राज्य में किसी जिले में हो गया है , वो जाते वक्त ए पत्र लिखकर मुझे दे गई, और बोली कृष्ण का ध्यान रखना,

मैने लिफाफा खोला तो उसमें उसके कमरे की चाभी थी,

मैने जल्दी से ऑफिस का काम खत्म किया ,और उसके कमरे पर आया तो चारपाई पर एक पत्र लिखकर रख गई थी, जिसमे लिखा था .....

कृष्ण तुम छुट्टी से वापस आ गए हो
अब रोज की तरह मेरा काम घर का तुम करना ,

मैं तुम्हे प्यार करती हूं इसलिए मैं तुमसे दूर हो गई हूं,इसलिए की मेरे घर पर शांति का माहौल रहे ,

और मैं भी सुकून से रहूं
मैने तुम्हारे घर का एक
कमरा किराए पर ले लिया है
मैं तुम्हारी मां,पापा ,बहन सभी का ख्याल रखूंगी और समय से ऑफिस भी जाया करूंगी ,

ये मेरा फैसला है

कृष्णा की तृष्णा



© संग