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" तंगदिल "
" तंगदिल "
कुछ लोग कितने तंगदिल होते हैं..!
इन्हें रिश्ते निभाने की तमीज नहीं होती..!

ऐसे लोगों के साथ जीना पड़े तो समझो
कि रोज़-रोज़ ही पल-पल जंग होनी है..।

कुछ लोग अपने हिस्से में लेना तो बहुत कुछ चाहते हैं..!
आप जी भर कर चाहे जितना भी सौ प्रतिशत फ़र्ज़ अदा कर लें , तब भी इन्हें शिक़ायत ही, जी भर कर करते हैं..।

मगर मजाल है कि ये आपके साथ बराबरी से आदान-प्रदान कर लें..!
या कभी आपकी अच्छाईयों के लिए प्रोत्साहित अथवा सराहना करें..।

कुछ लोग बड़े ही तंगदिल होते हैं..!
हाँ जी, इनके लिए जान भी निछावर करें , तब भी इन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता है..।
इनका पत्थर दिल कभी नहीं पिघलता..!
यह कभी भी आपसे खुश नहीं होते..!

कुछ लोग बड़े तंगदिल होते हैं..!
ये कभी भी आपको खुश नहीं रखेंगे..।
आप अपनी खुशियां अपने में तलाशें तब भी इन्हें आपके चेहरे में हल्की सी भी मुस्कान दिख जाए तो भी बर्दाश्त नहीं होती..!

इसे कहते हैं एक
"जहरीला रिश्ता" जहाँ आपको अपना ही जीवन खुशहाली से जीने की कतई आजादी नहीं होती और ना ही खुली आबोहवा में स्वांसें ले सकते हैं..!

किसी कैदी की मानिंद आपको एवं आपके हसरतों को कुचला जाता है..!
आपको और आपके जीवन को दूषित किया जाता है फिर वह शारीरिक और मानसिक रूप से क्यों न हो..।

अंततः आप अनेकों प्रकार की समस्याओं एवं बीमारियों से ग्रस्त होने लगते हैं जो भयानक स्वरूप ले लेती है..!
इतना ही नहीं कुछ रोग लाईलाज भी होते हैं..!

क्या ऐसे रिश्तों को हमे सच में निभाना चाहिए क्योंकि समाज " हमें क्या कहेगा..? " के भय से..!
हमारे घर वालों की इज्ज़त और नाक कटने के डर से..
क्या हम खुद पर अत्याचार होने दें कर खुद से अन्याय नहीं कर रहे हैं..?

क्या हमें अपने लिए स्वतंत्र नहीं होना चाहिए..?
कौन सा हमें यह समाज अथवा वो लोग जिनके लिए सारी जिंदगी खुद को मिटाने में लगाते हैं कभी " इनाम " देते हैं..?

🥀 teres@lways 🥀