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आख़िर जीवन की असलियत क्या है ?
जीवन की असलियत आख़िर क्या है, क्या वो सच है, जो दिखाते हैं हम दुनिया में लोगों के सामने, या फिर वो एक ऐसा सच है, जो कभी कभी सामने आने से भी झूठ सा नज़र आने लगता है।

इस शब्द के अनेकों मतलब निकल जाते हैं, मगर जो मुझे लगता है कि, इस दुनिया में असलियत सिर्फ़ नाम वास्ते रह गया है, देखें तो सब कुछ ही यहाँ क्षणिक है। हमारी पृथ्वी घूम रही है, और हम सब भी एक जीवन चक्र में अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं, कब कहाँ क्या हो जाये, अगले ही पल में, इसका कुछ भी पता नहीं है, और यही दरअसल हमारे जीवन की असलियत है ।

हम सब इस जीवन में ख़ुद को अमर मान लेते हैं, जबकि असलियत यही है, कि यह जीवन क्षणिक भर का है। ना जाने हर कोई किस भ्रम में जी रहा है, और ख़ुद को ही ना जाने क्या क्या मानता है, कितना भेद भाव आपस में ही करता है। हम करोड़ों देवी देवताओं को पूजते हैं, उनके बारे में सुनते हैं, पत्थर की मूरत को अपने मन में एक उच्च स्थान देकर भगवान की तरह पूजते हैं, जबकि हम में से देखा किसी ने भी नहीं है, भगवान को, भगवान को भी अनेकों धर्मों में बाँट कर उनकी भी पहचान बना दी है, अनेकों प्रकार से। क्यों नहीं हम सिर्फ़ यह मान कर जी रहे हैं, कि एक अलौकिक शक्ति है, जो हमारे जीवन का संचार कर रही है, और हम सब इस जीवन का साधारण तरीक़े से निर्वाह कर सकते हैं, बिना किसी के साथ क्लेश के, साथ रहकर, या फिर अकेले। स्वस्थ रहना ज़रूरी है, मानसिक एवं शारीरिक रूप से, ताकि हम अपनी क्षमताओं अनुसार जीवन में कुछ सकारात्मक योगदान कर सकें।

जीवन की असलियत को समझना ज़रूरी है, और एक सरल जीवन के निर्वाह के लिये, मगर अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए । अगर आप किसी के साथ रह रहे हैं, या फिर अकेले ही हैं, तब भी, इस जीवन को एक साधारण तरीक़े से जी सकते हैं, और जीवन की यही असलियत है, जो हर वक़्त हमारा इम्तहान लेकर हमें और प्रेरित करती है काबिल बनाने के लिये …

© सुneel