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खाना उतना लो थालि मैं वेस्ट ना हो नाली में 🙏🏿
खाना उतना लो थालि मैं वेस्ट ना हो नाली में
हम सब कि एक आदत इतनी खराब होती है
ज़रूरत से ज़्यादा खाना खुद की थाली में लेकर
खाना शुरू कर देते चाहे आधी थाली में पेट भर
जाता है फिर भी जरूरत से ज्यादा खाना लेते हैं
बाद में चाहे नाली में क्यो ना फेंके इसका कोई दुख कोई फर्क कोई किमत नहीं समझते एक दिन
ऐसा भी आता है महीने का आखिरी दिन और
घर में बनाने का थोड़ा राशन को बहुत सम्मान से
आपस में बांटकर खाते हैं उस एक दाना भी नाली में वेस्ट नहीं जाता केसे ही कहीं भी जाओ खाना उतना ही लें जितना आप खा सको बाकी खाना किसी और को नसीब हो जाए कभी किसी के खाने को खाकर उसके खाने का अपमान न करें
किसी कि मेहनत को गालि देने के समान है
खाने के एक एक दाने कि किमत सिर्फ वो किसान। समझ सकता है जिसने उस फसल
को उगाया हौ और अपने बच्चों कि तरह पाला
है और सेवा कि क्यों कि एक बिज से पोधा पोधै से फसल बनना इतना आसान नहीं होता उन्हें बच्चों जैसी सेवा और प्यार देना होता है वो सिर्फ एक
किसान कर सकता है और जब फसल अच्छी हुई तो खुश और फसल सुखी तो उसी खेत में फसलों खुद को ही खत्म कर देते क्यों कि फसल नहीं उनकी उम्मीद और उनकी संतान है जो उनका दर्द कभी कोई नहीं समझ सकता 🥺🥺🥺🥺
खाने कि किमत उनसे पूछना जो सिर्फ पानी पी कर सोते हैं कुड़े कचरे से निकाल कर रोटी पानी में धोकर खाते हैं क्योंकि भुख मिटाने के लिए उन्हें जो नसीब हुआ खालेते है जिस दिन हम ने खाना को उतना लें जितना भुख हो जो खाना बच जाए उसे गरीब देदो उस दिन कुछ भुखै गरीब भुखे नहीं सोएनगे हमारी एक सोच बदलने से और खाना जरूरत मंद को देकर आओ उनकी एक दुआ आपकी हर दवा फेल है मैं ने भी ऐसा दिन देखा
है मेरी 2 साल मुखी है खाने को कुछ भी नहीं उस
ठान लिया खाना उतना लें थाली में वेस्ट ना हो नाली में 🙏🏿 ऐसा दिन आप भी करो🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿
© hatho ki lakiren aur kuch nhi......