...

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अच्छा तो नहीं है !!!
कभी तो पर्दा करने दिया कर न हकीकत से मुझे ए जिन्दगी ,
यूं हर बार मुझे खयालों की दूनिया से जगाना ,अच्छा तो नहीं है ।

तेरी तो बेवफाई को भी वफा से नवाजा है मैंने , तू भी तो कर न वफा का वादा ,
यूं हर मोड़ पर रुसवा होकर बेवफाई करना , अच्छा तो नहीं है ।

चल माना कि थोड़े नादान हो जाया करते हैं हम, बचपन को फिर से जीने के लिए ,
यूं तेरा हर बार उस बचपने को छीनना , अच्छा तो नहीं हैं ।

मांगा ही कहां है तुझसे कुछ ज्यादा , एक सुकून की तलाश में तुझे जीए जा रहे हैं ,
यूं तेरा , मेरे अंदर एक शोर मचा कर खुद खामोश हो जाना , अच्छा तो नहीं है ।

तेरी हर चुनौती को स्वीकार करा है मैंने , हिम्मत टूटी तब भी लड़ा है मैंने,
यूं तेरा , मेरी मुस्कुराहट को गमों के बोझ के तले दबा देना , अच्छा तो नहीं है ।

शायद कभी नाराजगी भी रही हो , पर तेरे हर फैसले को तहे दिल से माना है मैंने ,
यूं तेरा मेरे एक भी अरमान को तवज्जो न देना , अच्छा तो नहीं है ।


चल एक सौदा करते हैं , जितने गम दिए तूने , उतनी ही खुशियां मेरे दामन में भर दे ,
यूं हर बार अपनी ही मर्जी चलाना , अच्छा तो नहीं है ।





© minisoni