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जीवन की मिठास
याद आया बीता हुआ बचपन का वो ज़माना,
अल्हड़,घूमता रहा ये दिल होकर दीवाना ।
खट्टे,मीठे , कड़वे अनुभवों से भरा हुआ जीवन,
बचपन में था"जीवन की मिठास"से भरा मन।
ढूंढता फिर रहा मैं बालपन के निस्वार्थ मित्र,
जिन्होंने महकाया था जीवन जैसे हो इत्र।
बड़े होने की होड़ में दिन ये कैसा आया,
"जीवन की मिठास" तो मैं पीछे ही छोड़ आया।
ना वो दिन लौटे ना ही वो लोग मुझे मिले,
गमों के दौर में "व्यास" खुद से खुद ही मिले।
लेखक _#Shobhavyas
#WritcoQuote
#writcopome
अल्हड़,घूमता रहा ये दिल होकर दीवाना ।
खट्टे,मीठे , कड़वे अनुभवों से भरा हुआ जीवन,
बचपन में था"जीवन की मिठास"से भरा मन।
ढूंढता फिर रहा मैं बालपन के निस्वार्थ मित्र,
जिन्होंने महकाया था जीवन जैसे हो इत्र।
बड़े होने की होड़ में दिन ये कैसा आया,
"जीवन की मिठास" तो मैं पीछे ही छोड़ आया।
ना वो दिन लौटे ना ही वो लोग मुझे मिले,
गमों के दौर में "व्यास" खुद से खुद ही मिले।
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