...

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चाहत के उसूल
बड़े उसूलों पर गुजरी,
बीती सारी उम्र हमारी,
भूले वो सारे ही हम,
देखो चाहत में तुम्हारी।1

जाग कर सोएं ही रहे,
बाहों में तेरी खोए रहे,
गम हो या खुशी में हम,
बस तुम्हें ही पुकारते रहे।2

उसूलों पर बड़े अडिग थे,
कभी किसी की न सुनते थे,
सामने सर झुकाएं खड़े हम,
तेरी "चाहत के उसूल" मंजूर थे।3

खुद को हार कर तुम्हें पाया,
नया मुकाम जिंदगी में आया,
यूँ थाम कर तेरे हाथो को हम,
हर मुश्किल को आसान पाया।4
लेखक_#shobhavyas
#Writco
#writcopome