ये क्या हो रहा।
#WhisperingNature
मैं बैठी हूँ बंद चार दिवारो के कमरे में
थोड़ा रोई थोड़ा खोई
झांक रही हूँ बाहर के नजरों को
जो देख रहे है मेरे बहते
इन आँसूओं के धारा को
मैं देख रही उन पेड़ों को
जो धीमे धीमे आवाज में पेगाम दे रही
है हवाओं को और हवाए पोहचा रही
उन...
मैं बैठी हूँ बंद चार दिवारो के कमरे में
थोड़ा रोई थोड़ा खोई
झांक रही हूँ बाहर के नजरों को
जो देख रहे है मेरे बहते
इन आँसूओं के धारा को
मैं देख रही उन पेड़ों को
जो धीमे धीमे आवाज में पेगाम दे रही
है हवाओं को और हवाए पोहचा रही
उन...