"कलाम ए परी"
रह - रह के उसकी याद जहन में आता क्यूँ है
ऐ खुदा वो एक ही शख्स मुझे भाता क्यूँ है
शहर में सब जानते हैं तूँ मेरी थी तूँ मेरी है
तो करके उज्र लोगों से रुख छुपाता क्यूँ है
मेरी रुसवाई में तो तूँ भी सरयिक है...
ऐ खुदा वो एक ही शख्स मुझे भाता क्यूँ है
शहर में सब जानते हैं तूँ मेरी थी तूँ मेरी है
तो करके उज्र लोगों से रुख छुपाता क्यूँ है
मेरी रुसवाई में तो तूँ भी सरयिक है...