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मेरा रब
मेरा रब

वो सुनता है मेरी हर अर्ज़ बड़े प्यार से बस गुज़ारिश है मेरे रब से के रखे मुझे अपनी पनाह में बड़े प्यार से।
मेरा रब नहीं इस रंग बदलतीं दुनिया की तरह
वो सुनता है मुझे बड़े प्यार से।
जब में होता हूं मायूस में लड़ता हूं करता हूं उसे परेशां हर छोटी हार पर फिर भी मेरा रब सुनता है मुझे बड़े प्यार से।
कई बार डगमगाई मेरी इबादत पर मेरा रब ना
डगमगाया,रखा मुझ पर ऐतबार बड़े प्यार से।
आज बैठा हूँ तेरी मज़ार पर पता है मुझे मेरा रब ना
करेगा मुझे मायूस फिर से रखेगा अपनी रेहमत का हाँथ मेरे सर पर बड़े प्यार से।