...

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🏵️"परवाह"🏵️
सच कहूं तो अब मैं किसी की
परवाह नहीं करती!!

सुनतीं सबकी हूं,मगर अब मैं
हमेशा अपने मन की हूं सुनतीं!!

कौन क्या कहता है मेरे बारे में या
जो सब करते हैं करूं मैं भी ऐसा!!

सच कहूं तो अब इन तमाम बातों को
अब मैं तरजीह नहीं देती!!

बहुत देख लिया सबके मन की करके
अब मैं जीना चाहती हूं अपने मन की!!

नहीं करना अब हालातों से समझौता, हूं मैं
आज की नारी अब मैं भी खुले नभ में विचरती।


© Deepa🌿💙