...

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दिल जो न कह सका

कभी वो समझ नहीं सका,
कभी "मैं" समझा नहीं सका।
अल्फाज़ खामोश ही रह गए,
तुम्हें "दिल जो कह न सका"...!1

बिखरा ऐसा कि समेट न सका,
हालातों में "मैं" संभल न सका।
कदम लड़खड़ाते ही रह गए,
तेरा मेरा फासला मिट न सका...!2

देख कर भी तुम्हें देख न सका,
नज़रों को नजरों से मिला न सका।
भटकती नज़रों को तलाश तेरी,
तेरा अक्स नज़रों से हटा न सका...!3

नज़रों में नजारे समा न सका,
जिक्र तेरा ज़ुबा से हटा न सका।
पल पल हर पल तड़पता रहा ,
इंतज़ार के लम्हें कम कर न सका...!4

लेखक _shobhavyas
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