मोहब्बत और समझाइश
खुशियों के कार्ड अब स्क्रैच होते नहीं
विचार सनम तेरे-मेरे अब मैच होते नहीं
जानता हूं रूह घायल ओर परेशां हैं
पर तेरी जिद मुझ पर हावी हमेशा है
करती हो वही तुम जो मुझे पसंद नहीं
दर्द दिल में बहुत,और चैन की नींद नहीं
मैं तेरी एक आवाज में तैनात हूं हमदम
इन दिनों में भी परेशान बहुत हूं हमदम
तेरे सांचे में ढ़लने बहुत प्रयत्न करता हूं
ना दूर रह सकता "प्यार" बहुत करता हूं
तुझे जो पसंद है , उसी में जीना सीखूंगा
पति के सांचे में जीने का सलीका सीखूंगा
तुमने चंद दिनो से प्रेम संबोधन नहीं किया
मुझसे दूर रहकर भी जरा चिंतन न किया
एक दिन सब रिश्ते कुछ पल ताक में रखना
मेरा तड़पता हुआ दिल अपने हाथ में रखना
तुम्हें मेरे प्यार का सच्चा एहसास तब होगा
मेरी अहमियत क्या है, आभाश तब होगा
सब कुछ ठीक करने का अब प्रयास मेरा है
तुम्हारे न होने की आहट जीवन"धुआं"सा है
तुम जीवन जीओ वैसा ,जैसी मन मेंआशा है
जिम्मेदारियां में सारी बखूबी खूब निभाउंगा
जिस पर हाथ रख दोगी वही वस्तु में लाउंगा,
तुम ना रहोगी तो भी ,हरदम तेरे साथ रहूंगा
तुम धड़कन बनी रहना ,मैं तेरे जज्बात रहूंगा
वस्तु दुनिया की कोई मुझे लुभा नहीं सकती
रिश्ता तू , क्षखुद भी हमारा मिटा नहीसकती
रखके के आंगन में पैरों को हटा नहीं सकती
रिश्ते पर मंथन की बातें मिलकै विचार करेंगे
दुखों का संहार करेंगे,एक दूजेको प्यार करेंगे
हम अगर पास रहते तो ऐसी बातें नहीं होती
5 महीनो के अंतराल में मुलाकातें नहीं होती
सोचो समझो"रानी"और " मनन" करो जरा
काया को ठीक करने का "जतन" करो जरा
तुम्हें क्यों शोक है,चैहरा सबको दिखाने का
जो मुझे ना हो पसंद वही "डीपी"लगाने का
जो डीपी में"खूबसूरत"चेहरा मेरी अमानत है
नहीं उसे तुम्हें सबको दिखाने की इजाजत है
लांघती क्यों है तू भावनाओं की"परिधि"मेरी
तुम मेरा अनमोल खजाना,तू है" संपत्ति"मेरी
आओ प्यार से समझो ,और प्यार को समझो
पतझड़ में कहीं गुम है उस"बहार"को समझो
समझो दिल की मजबूरी"इंतजार"को समझो्
डाला गले में हमने उस "पुष्पहार"को समझो
छोटी सी"असमंजस"में रिश्ते खत्म नहीं होते
अगर दूरी ना होती हमपे ये "सितम"नही होते
है तुम से गुजारिश मेरा हाथ "थाम" के चलो
दे दो पृथ्वी पर साथ या फिर "राम" के चलो
मेरी किसी भी भूल का "प्रतिशोध"ना लो तुम
अपने हृदय के करीब हरपल "रोज" लो तुम
इस रिश्ते को हमें मैं"जीवनपर्यंत"निभाना है
जीवनभर एक दूजे का हाथ थाम के जाना है
यूं पालो न गलतफहमियां "सागर" तुम्हारा है
मेरा "अस्तित्व" तुमसे है तू मेरा "किनारा" है
बाहर निकलो असमंजस से देखो"बहारों"को गोद में भर के लाया हूं उन हसीं"नजारों"को
लेटो तुम गोद में "मैं"तुम्हारी"जुल्फैं"सहला दूं
प्यार के"ठंडे पानी"से तुम्हारी काया नहला दूं जहां पुष्प खिले हजारों, प्रेम "उपवन"में चले
बनाकर"काबिल"बच्चों को चले गगन में चले
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बनाकर"काबिल"बच्चों को चले गगन में चले
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विचार सनम तेरे-मेरे अब मैच होते नहीं
जानता हूं रूह घायल ओर परेशां हैं
पर तेरी जिद मुझ पर हावी हमेशा है
करती हो वही तुम जो मुझे पसंद नहीं
दर्द दिल में बहुत,और चैन की नींद नहीं
मैं तेरी एक आवाज में तैनात हूं हमदम
इन दिनों में भी परेशान बहुत हूं हमदम
तेरे सांचे में ढ़लने बहुत प्रयत्न करता हूं
ना दूर रह सकता "प्यार" बहुत करता हूं
तुझे जो पसंद है , उसी में जीना सीखूंगा
पति के सांचे में जीने का सलीका सीखूंगा
तुमने चंद दिनो से प्रेम संबोधन नहीं किया
मुझसे दूर रहकर भी जरा चिंतन न किया
एक दिन सब रिश्ते कुछ पल ताक में रखना
मेरा तड़पता हुआ दिल अपने हाथ में रखना
तुम्हें मेरे प्यार का सच्चा एहसास तब होगा
मेरी अहमियत क्या है, आभाश तब होगा
सब कुछ ठीक करने का अब प्रयास मेरा है
तुम्हारे न होने की आहट जीवन"धुआं"सा है
तुम जीवन जीओ वैसा ,जैसी मन मेंआशा है
जिम्मेदारियां में सारी बखूबी खूब निभाउंगा
जिस पर हाथ रख दोगी वही वस्तु में लाउंगा,
तुम ना रहोगी तो भी ,हरदम तेरे साथ रहूंगा
तुम धड़कन बनी रहना ,मैं तेरे जज्बात रहूंगा
वस्तु दुनिया की कोई मुझे लुभा नहीं सकती
रिश्ता तू , क्षखुद भी हमारा मिटा नहीसकती
रखके के आंगन में पैरों को हटा नहीं सकती
रिश्ते पर मंथन की बातें मिलकै विचार करेंगे
दुखों का संहार करेंगे,एक दूजेको प्यार करेंगे
हम अगर पास रहते तो ऐसी बातें नहीं होती
5 महीनो के अंतराल में मुलाकातें नहीं होती
सोचो समझो"रानी"और " मनन" करो जरा
काया को ठीक करने का "जतन" करो जरा
तुम्हें क्यों शोक है,चैहरा सबको दिखाने का
जो मुझे ना हो पसंद वही "डीपी"लगाने का
जो डीपी में"खूबसूरत"चेहरा मेरी अमानत है
नहीं उसे तुम्हें सबको दिखाने की इजाजत है
लांघती क्यों है तू भावनाओं की"परिधि"मेरी
तुम मेरा अनमोल खजाना,तू है" संपत्ति"मेरी
आओ प्यार से समझो ,और प्यार को समझो
पतझड़ में कहीं गुम है उस"बहार"को समझो
समझो दिल की मजबूरी"इंतजार"को समझो्
डाला गले में हमने उस "पुष्पहार"को समझो
छोटी सी"असमंजस"में रिश्ते खत्म नहीं होते
अगर दूरी ना होती हमपे ये "सितम"नही होते
है तुम से गुजारिश मेरा हाथ "थाम" के चलो
दे दो पृथ्वी पर साथ या फिर "राम" के चलो
मेरी किसी भी भूल का "प्रतिशोध"ना लो तुम
अपने हृदय के करीब हरपल "रोज" लो तुम
इस रिश्ते को हमें मैं"जीवनपर्यंत"निभाना है
जीवनभर एक दूजे का हाथ थाम के जाना है
यूं पालो न गलतफहमियां "सागर" तुम्हारा है
मेरा "अस्तित्व" तुमसे है तू मेरा "किनारा" है
बाहर निकलो असमंजस से देखो"बहारों"को गोद में भर के लाया हूं उन हसीं"नजारों"को
लेटो तुम गोद में "मैं"तुम्हारी"जुल्फैं"सहला दूं
प्यार के"ठंडे पानी"से तुम्हारी काया नहला दूं जहां पुष्प खिले हजारों, प्रेम "उपवन"में चले
बनाकर"काबिल"बच्चों को चले गगन में चले
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बनाकर"काबिल"बच्चों को चले गगन में चले
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