आर पार
दिख जाए आसानी से, तो क्या बात होती
किसी की भी हमसे, ना तकरार यूं ही होती
कांच जैसे, दिल की ये गहराई दिख जाती
सोचो तुम और, बात, हमें पता चल जाती
© सिद्धार्थ सेन
किसी की भी हमसे, ना तकरार यूं ही होती
कांच जैसे, दिल की ये गहराई दिख जाती
सोचो तुम और, बात, हमें पता चल जाती
© सिद्धार्थ सेन
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