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मेरे भारत को मेरा प्रणाम
जिस भूमि पर खुद अवतरण लेते हैं भगवान,
मुक्त कंठ से देवता भी करते हैं गौरव गान,
ऐसे भारत को मेरा प्रणाम।

सभ्यता और संस्कृति में है जो सबसे महान,
जहाँ गुरुओं की होती है पूजा, अतिथि का होता है सम्मान,
ऐसे भारत को मेरा प्रणाम।

नानक, कबीर ,रहीम ने किया इस धरती को पावन,
नवजीवन का संचार कर गए विवेकानंद और कलाम,
ऐसे भारत को मेरा प्रणाम।

घर घर होता है वीरों का वैभव गान,
आजाद ,भगत सिंह और झांसी की रानी जिस भूमि पर हुए कुर्बान,
ऐसे भारत को मेरा प्रणाम।

जिस भूमि के सीने पर सोना उगाते हैं किसान,
जिसकी रणभूमि पर हंसकर प्राण दे देते हैं जवान,
ऐसे भारत को मेरा प्रणाम।

जिसकी रक्षा करने शीर्ष पर हिमालय खड़ा है सीना तान,
गंगा यमुना जैसी पावन नदियाँ है इसका अभिमान,
ऐसे भारत को मेरा प्रणाम।

संस्कारों में है जहाँ सहयोग, सद्भावना, आदर और सम्मान,
तभी तो जग में ऊँचा है इसका स्थान,
ऐसे भारत को मेरा प्रणाम।

इस की आन, बान और शान से ही है मेरा मान,
इस जन्म भूमि पर मेरा कण-कण है कुर्बान,
मेरे भारत को मेरा प्रणाम, मेरे भारत को मेरा प्रणाम।