...

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मैं मेरी कलम✍️और उसकी यादें.....❤️
आज भी उसकी यादों को
पन्नों पर बिखरे रखती हू
उसकी बाते उसकी यादें
पंक्तियों में छुपाए रखती हू

उसका मुस्कुराना उसकी खामोशी
आज ना जाने कहां खो गई है
उसकी याद में आज मेरी कलम भी
रो गई है

मेरी पंक्तियों में भी आज उसका
खिलखिलाना छुपा है
कुछ अनकही lines में
उसका मुस्कुराना छुपा है

अक्सर उसकी ख्वाबों में
कुछ इस तरह मन खो जाता है
ख्वाहिसे मुस्कुराना चाहता है
और दिल अक्सर रो जाता है

फिर से वो पल जीना चाहती हू
जो कही बिछड़ गया है मुझे
वो ख्वाहीसे वो मोहोब्बत
आंसू बन कर पिघल गया आंखो से

वो लौट कर आता नहीं
और उसका ख्याल आज भी दिल से जाता
नहीं
आज भी तनहा बैठे हुए उसे अक्सर याद करती हु
उसकी आने के उम्मीद में हर लम्हा इंतजार लिखती हू


शीतल मिश्रा .....❤️😇