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रंगों की आत्मा
रंगों की भी अपनी एक दुनिया है। हर रंग का अपना व्यक्तित्व, अपनी पहचान है। हमने उन्हें अपनी भावनाओं और प्रतीकों में ढाल लिया है। हरा रंग, जो प्रकृति की गोद से निकला है, हमने उसे प्रगति और विकास का प्रतीक बना दिया। नारंगी रंग, सूरज की गर्माहट से सजा, हमारे लिए गौरव और ऊर्जा का संकेत बन गया।

पर क्या कभी सोचा है कि रंग खुद क्या सोचते होंगे? क्या उन्हें भी यह बंधन महसूस होता है? क्या काले रंग को इस बात का दुःख होता होगा कि उसे हमेशा नकारात्मकता और अंधकार से जोड़ा गया? शायद इसीलिए काले रंग ने अपने लिए एक नया नाम चुन लिया — "प्रेम"।

लाल रंग, जो क्रांति और...