...

14 views

औरत
बर्फ़ सा सुकून मुझमें
अंगारों से क्यूंँ हिसाब मेरा

नर्म हूंँ मैं मोम जैसी
पत्थरों से क्यूंँ टकराव मेरा

जोड़ती हूंँ दुनियादारी
टुकड़ों में क्यूंँ बिखराव मेरा

रखूंँ ख़्याल सबका मैं
सस्ता क्यूंँ रख -रखाव मेरा

'हां'करते जीती जाऊं
'ना' में ही क्यूंँ जवाब मेरा

पूरी करूंँ सबकी चाहत
रहे अधूरा क्यूंँ ख़्वाब मेरा

शिद्दत भरती हूंँ रिश्तों में
दगाबाज़ हर क्यूंँ हुबाब मेरा