...

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बाकी नहीं है कुछ
आज दिल से कहा है रो ले जितना रोया जाता है इस दिमाग से इस तरह नहीं जीया जाता है
वो खफा हैं, तुम रुसवा ऐसे नहीं महोब्बत में रहा जाता है
वो झरोखां जिस से हवा आती थी तूफान बिखेर गया
इतना जोर किससे सहा जाता है
अपना दर्द अपने अंदर छुपा रिसते जख्मों को दिल में दबा ले
कहाँ किसी से अपना हाल -ए-दिल कहा जाता है
अब बाकी नहीं है कुछ सुना बाकी नहीं है अब कुछ
ऐसे ही तन्हाई में जिंदगी को कहाँ भरा जाता है