...

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अजनबी हुआ मन
अजनबी हुआ मन, एक अनसुनी कहानी।
चलते-चलते खो गया, खोजते-खोजते ज़माना।

धुंधला सा नज़र आया, सच्चाई का सफर।
खोजते-खोजते मिला, अपनी ही पहचान अपनी ही परछाई।

अजनबी हुआ मन, खो गया खुद से।
अपनी धड़कनों में भी, अजनबी बन बैठा।

खोजते-खोजते दिल ने, पाया अपना रास्ता।
अजनबी हुआ मन, फिर से हुआ अपना।

खोजते-खोजते अब, खुद को पाया।
अपनी तलाश में, खुदा मिल गया।

अजनबी हुआ मन, अब खुदा के साथ।
अपनी ज़िन्दगी का सफर, नया रंग लूटता।
© Simrans