...

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एक शाम ..
चल!रहने दे तेरा मेरा इल्जाम।
गुज़रते है दोनों मिलके एक शाम।

जहां न हो कोई शिकायत न गिला।
कैसे तू मुझे मैं तुझे ऐसे ही मिला।

सुनहरे लम्हों को फिर से जी कर ...
इश्क़ को जिंदा करते है साथ मिलकर।
-ओशिर
© ओशिर