...

3 views

पगली...
हर इक अदा से बे-इंतिहा, दिल को लुभा रही थी,
कभी उठाती पलकें झुकी, कभी मद्धिम मुस्कुरा रही थी।
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
जाने क्या थी कशिश न जानूँ, उसकी निगाह में,
यूँ तो चुप-चुप सी पर लगा, करीब बुला रही थी।
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
जुल्फ़ों में उनकी, उनका फेरना उफ़्फ़ उंगलियाँ"साहिल"
गोरे चाँद से मुख पर ज्यों, बदलियाँ लहरा रहीं थी।
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
कुछ तो न थी वो मेरी फिर भी, कितना सता रही थी,
वो थी हसीं बहुत सच कहता हूँ, याद "तुम्हारी" दिला रही थी।
#विवेक0799
© विवेक पाठक