नई ग़ज़ल
दिल उसे दे दिया रवानी में
काम बिगड़ा है जल्दबाज़ी में
उस से मै इस तरह से मिलता हूं
रंग घुलता है जैसे पानी में
वो जो बदला तो ये कहकर बदला
कुछ नहीं मुस्तक़िल मिज़ाजी में
अब ज़रा उसने भी तवज्जो दी
अब मज़ा आयेगा कहानी में
इश्क़ अच्छा है या बुरा ,सोचें
इतनी फुर्सत कहां जवानी में
वो हसीं लम्हे वो हसीं बातें
अब तो गिनते हैं राएगनी में
हम तो बस इश्क़ इश्क़ करते हैं
हमको क्या शौक़ कामरानी में
शाबान नाज़िर -
© SN
काम बिगड़ा है जल्दबाज़ी में
उस से मै इस तरह से मिलता हूं
रंग घुलता है जैसे पानी में
वो जो बदला तो ये कहकर बदला
कुछ नहीं मुस्तक़िल मिज़ाजी में
अब ज़रा उसने भी तवज्जो दी
अब मज़ा आयेगा कहानी में
इश्क़ अच्छा है या बुरा ,सोचें
इतनी फुर्सत कहां जवानी में
वो हसीं लम्हे वो हसीं बातें
अब तो गिनते हैं राएगनी में
हम तो बस इश्क़ इश्क़ करते हैं
हमको क्या शौक़ कामरानी में
शाबान नाज़िर -
© SN