...

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बरसात...
करे बेबस यूँ ही सताता है, बरसात में,
जाने कौन आता-जाता है, बरसात में।

मेरी आँखों के रास्ते, दिल में उतरकर,
ख़्वाब कौन ये सजाता है, बरसात में।

दिल की वादियों में बजती हैं शहनाईयाँ,
जाने कौन ये मुस्कुराता है, बरसात में।

यूँ तो रही दिल में, हर जगह ही खाली,
न जाने कौन गुनगुनाता है, बरसात में।

दिल झूमता है बेसबब, कुछ जाने नहीं,
जाने कौन हँसा जाता है, बरसात में।

यूँ तो भूला रहता हूँ, हर बात उनकी"आनंद"
जाने कौन सामने आता है, बरसात में।

सारी शामें भीगी-भीगी, क़तरा-क़तरा नम सा,
ऐसे में भी जाने कौन, रुलाता है, बरसात में।
© विवेक पाठक