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स्त्री का वजूद
एक स्त्री का सारा जीवन
किसी की बेटी...
किसी की बहन...
किसी की दोस्त...
किसी की पत्नी....
किसी की मां....
किसी की दादी और भी बहुत कुछ
बस इन्हीं रिश्तों की परछाई में बीत जाता है
इन सब रिश्तों का वजूद
उसी स्त्री से है
पर फिर भी हर
रिश्ते को निभाते निभाते
वो अपना वजूद भूल जाती है।
© Sarika
किसी की बेटी...
किसी की बहन...
किसी की दोस्त...
किसी की पत्नी....
किसी की मां....
किसी की दादी और भी बहुत कुछ
बस इन्हीं रिश्तों की परछाई में बीत जाता है
इन सब रिश्तों का वजूद
उसी स्त्री से है
पर फिर भी हर
रिश्ते को निभाते निभाते
वो अपना वजूद भूल जाती है।
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